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ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री में 87 फीसदी की बढ़ोतरी, गेमिंग साइटों से भी बच्चों के लिए खतरा बढ़ा

नई दिल्ली: 2019 के बाद से दुनिया में ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री के मामलों में 87 फीसदी की वृद्धि हुई है. गैर सरकारी संगठन वीप्रोटेक्ट ग्लोबल अलायंस ने मंगलवार को अपनी चौथी वैश्विक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक गेमिंग साइटों (gaming sites) से भी बच्चों के यौन शोषण का खतरा बढ़ा है.

बच्चों के लिए ऑनलाइन खतरे के बारे में वीप्रोटेक्ट ग्लोबल अलायंस ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर 3.2 करोड़ से अधिक ऐसे मामले रिपोर्ट किए गए हैं, जहां ऑनलाइन माध्यमों में बाल यौन शोषण से जुड़ी सामग्री प्रस्तुत की गई थी. भारत चिंताजनक रूप से उन देशों में से एक है जहां बच्चों के लिए ऑनलाइन माध्यमों पर मंडराते खतरों का जिक्र इस रिपोर्ट में किया गया है. भारत उऩ देशों में एक है जहां 2020 के बाद से ऐसे मामलों की संख्या में इजाफा हुआ है.

इसमें यह भी पाया गया कि 2020 से 2022 (इंटरनेट वॉच फाउंडेशन) के बीच सात से 10 साल के बच्चों की स्व-निर्मित यौन कल्पना की सामग्रियों में 360 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस रिपोर्ट के अनुसार चौंकाने वाली बात यह भी है कि सोशल गेमिंग प्लेटफॉर्म पर बच्चों के साथ बातचीत 19 सेकंड के भीतर उच्च जोखिम वाली ग्रूमिंग स्थितियों में बदल सकती है, जबकि ग्रूमिंग का औसत समय केवल 45 मिनट है. वीप्रोटेक्ट ग्लोबल अलायंस के अनुसार सोशल गेमिंग का माहौल वयस्क और बच्चे के बीच मेल-जोल, आभासी उपहारों के आदान-प्रदान और पब्लिक रैंकिंग प्रणालियों की सुविधा प्रदान करता है, उससे ऐसे जोखिम काफी बढ़ जाते हैं.

वीप्रोटेक्ट ग्लोबल अलायंस के कार्यकारी निदेशक इयान ड्रेनन ने कहा, ‘हमें दुनिया भर में ऑनलाइन होने वाले बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार पर ध्यान देने और इन पर पहल करने की जरूरत है. नई तकनीकी क्षमताएं मौजूदा जोखिम को और बढ़ा देती हैं और भारत में भी स्थिति अलग नहीं है. बच्चों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता.’ उन्होंने कहा कि बच्चों को ऐसी परेशानी से बचाने के लिए, सरकारों, ऑनलाइन सेवा प्रदाताओं, चैरिटी और कंपनियों को अपनी कोशिश बढ़ानी चाहिए और बदलाव लाने तथा बच्चों की सुरक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए.

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