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खाड़ी देशों की आपसी लड़ाई में भारत के हित होंगे प्रभावित

नई दिल्ली : खाड़ी के देशों में आतंकवाद के मुद्दे पर गंभीर तनाव है. सऊदी अरब, बहरीन, यमन, मिस्त्र और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने  कतर से कूटनीतिक रिश्ते तोड़ लिए हैं. इस मामले में अब लीबिया और मालदीव अरब देशों से हाथ मिला लिया है. लेकिन, खाड़ी देशों की इस आपसी लड़ाई से भारतीय हित प्रभावित होने की आशंका है.

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खाड़ी देशों की आपसी लड़ाई में भारत के हित होंगे प्रभावितउल्लेखनीय है कि खाड़ी के देशों के बीच बढ़ते तनाव का असर भारत पर भी होगा. सबसे बड़ा असर तो कच्चे तेल की कीमतों को लेकर पड़ेगा. ये सभी देश कच्चे तेल के बड़े उत्पादक हैं. भारत सबसे ज्यादा तेल सऊदी अरब से लेता है, जबकि कतर से भारत सबसे ज्यादा प्राकृतिक गैस लेता है.भारत के लिए दोनों ही देश महत्वपूर्ण है. ऐसे में यहां तनाव फैलने पर कच्चे तेल की कीमतों पर असर होगा, जिसका बोझ भारत की आम जनता और यहां की अर्थव्यवस्था को उठाना पड़ेगा. जबकि पिछले तीन वर्षो से कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहने से इसका लाभ भारत को मिल रहा है.

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बता दें कि दूसरी बड़ी समस्या खाड़ी के देशों में काम करने वाले भारतीय कामगारों की है .संयुक्त अरब अमीरात में 25-26 लाख और सऊदी अरब में 29-30 लाख भारतीय काम करते हैं. कतर में पांच लाख से ज्यादा भारतीय काम करते हैं. ये भारतीय वहां से विदेशी मुद्रा भारत भेजते हैं. खाड़ी में तनाव होने पर इनके कामकाज पर भी असर पड़ेगा.इस मामले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कहना है कि इन देशों के बीच पहली बार तनाव पैदा नहीं हुआ है.लेकिन हमारी चिंता यह है कि इस तनाव के चलते कोई भारतीय न प्रभावित हो.स्मरण रहे कि पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार खाड़ी देशों से अपने रिश्तों को मजबूत कर रही है. फिर भी नए हालात में भारत के लिए कूटनीतिक चुनौतियां बढ़ना तय है.

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