हामिद अंसारी की ‘असुरक्षा’ को वेंकैया नायडू ने बताया ‘राजनीतिक प्रचार’
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने एक साक्षात्कार में कहा कि मौजूदा दौर में देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है. देश के नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने हामिद अंसारी बिना नाम लिए उनके बयान को महज “राजनीतिक प्रचार” बताकर खारिज कर दिया. साथ ही देश के अगले उप-राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने से एक दिन पूर्व उन्होंने कहा कि राजनेताओं को उनकी सलाह है कि वे समुदायों को राजनीति में न घसीटें.
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नायडू ने न्यूज एजेंसी से कहा- कुछ लोग कह रहे हैं कि देश में अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं. यह एक राजनीतिक प्रचार है. पूरी दुनिया के मुकाबले अल्पसंख्यक भारत में ज्यादा सकुशल और सुरक्षित हैं और उन्हें उनका पूरा हक मिलता है. उन्होंने इस बात से भी इत्तेफाक नहीं जताया कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है और कहा कि भारतीय समाज अपने लोगों और सभ्यता की वजह से दुनिया में सबसे सहिष्णु है.
एक समुदाय को अलग दिखाकर देश में लोगों को बांटने की कोशिश के प्रति आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि इससे दूसरे समुदायों से विपरीत प्रतिक्रिया आएगी. साथ ही उन्होंने कहा अगर आप एक समुदाय को अलग करके देखेंगे तो दूसरे समुदाय इसे अन्यथा लेंगे. इसलिये हम कहते हैं कि सभी समान हैं. किसी का तुष्टिकरण नहीं सभी के लिये न्याय. उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का प्रमाण है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं हुआ.
नायडू ने कहा उन्हें (अल्पसंख्यकों को) संवैधानिक जिम्मेदारियों समेत अहम पद हासिल हुए हैं, क्योंकि यहां कोई भेदभाव नहीं है. ऐसा उनकी योग्यता के कारण संभव हुआ. उन्होंने कहा कि भारत की विशिष्टता, विविधता में एकता और ‘सर्व धर्म सद्भाव’ है. भारत के खून और ज़हन में धर्मनिरपेक्षता है.
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उन्होंने कहा कि भारत अपने राजनेताओं की वजह से नहीं बल्कि अपने लोगों और सभ्यता की वजह से धर्मनिरपेक्ष है. कथित असहिष्णुता की घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर नायडू ने कहा कि भारत एक विशाल देश है और ‘इक्का-दुक्का मामले’ सामने आ सकते हैं जो ‘कुछ और नहीं अपवाद’है.
उन्होंने हालांकि कहा-समुदाय के आधार पर कोई भी साथी नागरिकों पर हमले को न्यायोचित नहीं ठहरा सकता. ऐसी घटनाओं की निंदा होनी चाहिये और संबद्ध अधिकारियों द्वारा कार्रवाई भी की जानी चाहिए.
नायडू ने कहा कि कुछ लोग राजनीतिक वजहों से ऐसे मामलों में तिल का ताड़ बना देते हैं. कुछ लोग तो इस स्तर तक चले जाते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ऐसे मुद्दों को उठाकर देश को ‘बदनाम’तक करने लगते हैं. कुछ समुदायों के बीच दरार डालकर राजनीतिक स्वार्थसिद्धि के लिए ऐसा करते हैं. मूल समस्या वोट बैंक राजनीति और एक खास समुदाय को वोटबैंक माने जाने की वजह से है.