स्वास्थ्य

एक मिनट में 10 बार से ज्यादा पलकें झपकना, बीमारी के लक्षण

विशेषज्ञों के मुताबिक सामान्य तौर पर एक इंसान की 1 मिनट में 10 बार पलकें झपकती हैं। अगर आपकी पलकें इससे ज्यादा झपकती हैं तो आपको अलर्ट होने की जरूरत है क्योंकि यह ब्लेफरोस्पाज्म बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। इस बीमारी में पलकों को बार-बार झपकने से न केवल दर्द होता है, बल्कि आंखों की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं। इस कारण नेत्रहीनता का खतरा बढ़ जाता है। मांसपेशियों की सिकुड़न के कारण पलकें पूरी तरह बंद हो सकती हैं, जिससे आंखें और नजरों के पूरी तरह सामान्य होने के बाद भी व्यावहारिक नेत्रहीनता उत्पन्न हो सकती है। लखनऊ स्थित केजीएमयू के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमार शर्मा कहते हैं, ब्लेफरोस्पाज्म बीमारी होने पर पलकों को उठाने में परेशानी होती है। आंखें सामान्य से ज्यादा छोटी दिखाई देती हैं और तनाव से सिर दर्द होने लगता है। एक मिनट में 10 बार से ज्यादा पलकें झपकना, बीमारी के लक्षण

बिगड़ सकती है चेहरे की बनावट 
ब्लेफरोस्पाज्म बीमारी से एक या दोनों आंखें प्रभावित हो सकती हैं। कभी कभी इस समस्या से व्यक्ति के चेहरे की बनावट भी बदल जाती है, लेकिन उसके देखने की क्षमता प्रभावित नहीं होती। आगे चलकर यह मांसपेशियों, नसों, मस्तिष्क या आंखों को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। 

बीमारी का कारण 

जन्म से संबंधित: शिशु की मांसपेशियों के विकास में समस्या आने से ऊपरी पलक में ब्लेफरोस्पाज्म हो जाता है। अगर पलक झपकने से बच्चे को देखने में परेशानी हो रही है, तो तुरंत सर्जरी करानी चाहिए नहीं तो आगे चलकर आंखों की रोशनी जा सकती है। 

बूढ़ापे से संबंधित: उम्र बढ़ने से ब्लेफरोस्पाज्म होना आम है। उम्र बढ़ने से लीवेटर टीशू के पलकें उठाए रखने के काम में रुकावट आती है। इस उम्र में आमतौर पर दोनों आंखें प्रभावित हो जाती हैं। 

व्यायाम से होगा इलाज 
इस बीमारी के इलाज के लिए दवाओं की जगह आंखों की कुछ एक्सर्साइज ज्यादा प्रभावी है… 

– दाएं हाथ के अंगूठे को सीधा तानकर रखते हुए अन्य अंगुलियों से मुट्ठी बंद कर लें। दाएं हाथ को कंधों की ऊंचाई तक सीधा सामने की ओर उठाकर रखें। अब दृष्टि को बिना पलक झपकाए अंगूठे पर केन्द्रित करें। ऐसा 5 बार करें। 

-अब दाएं हाथ को सामने से हटाकर धीरे-धीरे दायीं ओर ले जाएं। उस समय दृष्टि भी अंगूठे पर केन्द्रित रखते हुए दांयी ओर ले जाएं। ध्यान रहे कि चेहरे को स्थिर रखते हुए केवल पलकों को ही दायीं ओर ले जाना है। यह क्रिया बांयी ओर भी करें। 

– चेहरे को सामने की ओर स्थिर रखकर आंख की पुतलियों को ज्यादा से ज्यादा ऊपर की ओर ले जाएं। पुतलियों को तब तक ऊपर रखें, जब तक आंखों में जलन के साथ पानी न निकलने लगे। यह क्रिया नीचे, दायीं और बायीं ओर से भी करें। 

 
 

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