देश भर में नहीं थम रही तेंदुओं की मौत, मार्च में ही सामने आए 21 मामले
देश में मार्च महीने के पहले पखवाड़े में ही 21 तेंदुए की मौत हो चुकी है. वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया (डब्ल्यूपीएसआई) के मुताबिक, भारत में इस साल मरने वाले तेंदुए की संख्या बढ़कर 127 हो गई है. डब्ल्यूपीएसआई ने बताया कि एक से 15 मार्च के बीच कुल 21 तेंदुए की मौत हुई है. इनमें 12 तेंदुए पकड़े गए जबकि नौ तेंदुओं का शिकार किया गया. आपको बता दें कि इससे पहले एक न्यूज एजेंसी ने साल 2018 के शुरुआती दो महीनों में ही 106 तेंदुओं की मौत की खबर दी थी.
WPSI ने जारी किये आंकड़ें
देश भर के जंगली क्षेत्रों में नए साल की शुरुआत के पहले दो महीने में 106 तेंदुओं की जान चली गई. दो महीने में इतनी संख्या में तेंदुओं की मौत पर चिंता और ज्यादा तब बढ़ जाती है जब इन 106 मौतों में केवल 12 को प्राकृतिक मौत बताया जा रहा है. इस मामले में आंकड़े जुटाने वाली संस्था वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया के मुताबिक, तेंदुओं की सबसे ज्यादा मौतें शिकार की वजह से हुईं हैं और केवल 12 की मौत प्राकृतिक कारणों से हुईं हैं.
उत्तराखंड में हुईं सबसे ज्यादा मौत
तेंदुओं की मौत के मामले में उत्तराखंड सबसे आगे रहा. साल की शुरूआत से अब तक सबसे ज्यादा 24 तेंदुओं की मौत उत्तराखंड में हुई. महाराष्ट्र में 18 और राजस्थान में 11 तेंदुओं की मौत हुई है. वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया को तेंदुओं की मौत का विवरण 18 राज्यों से हासिल हुआ है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017 में कुल 431 तेंदुओं की मौत हुई. इनमें 159 मौतें शिकार के कारण हुई. साल 2016 में करीब 450 बाघों की मौत हुई थी जिनमें 127 की मौत शिकार की वजह से हुई. वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी के अनुसार, तेंदुए की मौत के 10 संभावित कारण हैं. इस साल 106 मौतों में से 36 का कारण स्पष्ट नहीं है. सोसाइटी ने कहा कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू एवं कश्मीर और गुजरात में चार तेंदुओं को तस्करों से चंगुल से छुड़ाया गया. वर्ल्डलाइफ इंस्टीट्यूट के मुताबिक देश के 17 राज्यों में 9 हजार तेंदुए हैं, हालांकि देश भर में तेंदुओं की वास्तविक संख्या ज्ञात नहीं है.