अद्धयात्म

लॉकेट व कड़ा पहनने से पहले जरुर जान ले ये बाते, वरना हो सकता है स्वास्थ को नुकसान

आज फैशन के दौर में कई लोग बिना सोचे समझे गले में लॉकेट व हाथ में कडा पहन लेते हैं जिससे कुछ समय बाद नकारात्मक परिणाम झेलने पडते हैं। कडा,लॉकेट का अपना अलग महत्व होता है और ये संबंधित ग्रह,नक्षत्र को प्रभावित करते हैं लाल किताब के अनुसार हाथ पराक्रम भाव है, गला लग्न भाव है और प्रत्येक धातु का एक ग्रह-नक्षत्र है जिसका उस पर प्रभाव होता है।

गले या हाथ में कुछ तो भी बगैर सोचे-समझे पहने से आपके मस्तिष्क में परिवर्तन तो होता ही है साथ ही आपके रक्तचाप में भी बदलावा आ सकता है।आइए,जान लेते हैं कि कडा व लॉकेट पहनने से पहले किन चीजों का ध्यान रखा जाए जिससे बाद में परेशानियों का सामना नहीं करना पडे….

कड़े का मूल चमत्कार :
कड़ा हनुमानजी का प्रतीक है। पीतल और तांबा मिश्रित धातु का कड़ा पहनने से सभी तरह के भूत-प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों से व्यक्ति की रक्षा होती है। हालांकि कड़ा पहनने के नियम होता है। यह भी की कड़ा किसे पहनना चाहिए और किसे नहीं इसके भी नियम हैं।इसके अलावा हाथ में कड़ा धारण करने से कई तरह की बीमारियों से भी रक्षा होती है। जो व्यक्ति बार-बार बीमार होता है उसे सीधे हाथ में अष्टधातु का कड़ा पहनना चाहिए। मंगलवार को अष्टधातु का कड़ा बनवाएं। इसके बाद शनिवार को वह कड़ा लेकर आएं।

शनिवार को ही किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर कड़े को बजरंग बली के चरणों में रख दें। अब हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके बाद कड़े में हनुमानजी का थोड़ा सिंदूर लगाकर बीमार व्यक्ति स्वयं सीधे हाथ में पहन लें।ध्यान रहे, यह कड़ा हनुमानजी का आशीर्वाद स्वरूप है अत: अपनी पवित्रता पूरी तरह बनाए रखें। कोई भी अपवित्र कार्य कड़ा पहनकर न करें अन्यथा कड़ा प्रभावहीन तो हो ही जाएगा, साथ ही इसकी आपको सजा भी मिलेगी।

मान्यता अनुसार हमेशा पीतल, तांबा या चांदी का कड़ा पहनना चाहिए|यह भी माना जाता है कि पीतल का कडा पहनने से गुरु, तांबे से मंगल और चांदी से चंद्र ग्रह बलवान होता है। कभी भी लोहे, स्टील या जर्मन का कड़ा नहीं पहनना चाहिए।कडा पहनने के बाद नशा नहीं करना चाहिए इससे दुष्परिणाम मिलते हैं। पीतल व तांबा मिश्रित धातु का कडा पहनने से व्यक्ति की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।

लॉकेट पहनने में बरते सावधानियां :
वर्तमान में गले में क्रॉस का चिन्ह लटकाना, गिटार लटकाना, बंदूकी की गोली लटकाना या अपने किसी गुरु का लॉकेट पहने का प्रचलन चल पड़ा है। इसके अलावा लोग लोहे, स्टील या जर्मन की धातु का लॉकेट भी पहनते हैं। कोई किसी देवी या देवता का लॉकेट पहनता है तो कोई रुद्राक्ष की माला, कुछ लोग तो अभिमंत्रित किया हुआ ताबिज पहनते हैं। हालांकि ज्योतिष इसे पहने की इजाजत दे तो निश्चित ही पहनें। लेकिन यह सब पहनना व्यर्थ है।

गला हमारा लग्न स्थान होता है और लॉकेट पहनने से हमारा हृदय और फेफड़े प्रभावित होते हैं। अत: लॉकेट सिर्फ तीन तरह की धातु का ही पहनना चाहिए पीतल, चांदी और तांबा। सोना भी सोच-समझकर ही पहने। यह भी देखना जरूरी है कि लॉकेट किस प्रकार का है। ॐ बना हुआ या फिर हनुमानजी का लॉकेट ही पहनना चाहिए। इसके अलावा आप मात्र एक गोल धातु का लॉकेट भी पहने सकते हैं। धातु का गोल होना इसलिए जरूरी है कि इससे आपके आसपास ऊर्जा का वर्तुल सही बनेगा। इसके और भी कई लाभ हैं।

बच्चों को चांदी का लॉकेट पहनाना चाहिए इससे उनका स्वास्थ्य का ठीक रहता है।छोटे बच्चों का मन चंचल होने के कारण ज्यादातर उन्हें चोट लगती रहती है इसलिए ज्योतिषियों द्वारा चांदी के चन्द्रमा का लॉकेट पहनाने की सलाह दी जाती है।ज्योतिष व विद्वानों द्वारा कहा जाता है कि देवी-देवताओं के चित्र वाले लॉकेट धारण नहीं करना चाहिए।

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