…सम्पन्न हुआ राफेल का गृह प्रवेश, झूम उठा देश
लड़ाकू विमानों ने की सफल लैंडिंग, अम्बाला एयरबेस पर पहुंच गये पांचों फाइटर जेट
रक्षामंत्री का ट्वीट आया…..”टचडाउन ऑफ़ राफेल ऐटअम्बाला”
नौसेना के जहाज आईएनएस कोलकाता ने राफेल की टुकड़ी से कहा- हैप्पी लैंडिंग, हैप्पी हंटिंग
लखनऊ (अमरेन्द्र प्रताप सिंह) : भारतीय वायुसेना को परम शक्तिशाली बनाने के लिए फ्रांस से 7000 किमी का सफर तय कर पांच राफेल लड़ाकू विमान हरियाणा के अंबाला एयरबेस पहुंच चुके हैं। ये विमान आज बुधवार दोपहर 3.10 बजे के करीब अंबाला एयर बेस पर उतरे। इससे पहले दोपहर के करीब डेढ़ बजे राफेल विमानों ने अबुधाबी से उड़ान भरी थी। एयरबेस पर उतरते ही पांच राफेल लड़ाकू विमानों को वॉटर सैल्यूट दिया गया। एयरबेस पर मौजूद वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने राफेल विमानों का स्वागत किया।
राफेल को अंबाला एयरबेस पर वायुसेना में शामिल होने के बाद उन्हें तुरंत चीन सीमा पर तैनात कर दिया जाएगा। भारतीय सीमा में प्रवेश करने से पहले अरब सागर में तैनात युद्धपोत आईएनएस कोलकाता ने राफेल का स्वागत किया। 3700 मारक क्षमता वाला विमान 6 सुपरसोनिक मिसाइल और लेजर गाइडेड बम लेकर उड़ सकता है। राफेल लगातार 10 घंटे तक उड़ान भर सकता है।
राफेल फाइटर जेट्स की पहली तैनाती गोल्डन-ऐरोज़ स्कॉवड्रन में : अंबाला में ही राफेल फाइटर जेट्स की पहली स्कॉवड्रन तैनात होगी। 17वीं नंबर की इस स्कॉवड्रन को ‘गोल्डन-ऐरोज़’ नाम दिया गया है. इस स्कॉवड्रन में 18 रफाल लड़ाकू विमान होंगे–तीन ट्रैनर और बाकी 15 फाइटर जेट्स. दरअसल, गोल्डन एरो अभी तक भटिंडा स्थित मिग-21 की स्कॉवड्रन को जाना जाता था. मिग-21 की गोल्डन एरो स्कॉवड्रन ने करगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।
इसी स्कॉवड्रन के स्कॉवड्रन लीडर अजय आहूजा करगिल युद्ध में दुश्मन के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया था। लेकिन मिग-21 के रिटायर होने के बाद ये स्कॉवड्रन पिछले कुछ सालों से बंद पड़ी थी। अब इसे एक बार फिर से रफाल के साथ जीवित कर दिया गया है। पूर्व वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ भी इसी स्कॉवड्रन से ताल्लुक रखते थे। भारत ने वायुसेना के लिये 36 राफेल विमान खरीदने के लिये चार साल पहले फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था।
राफेल को फ्रांस से भारत आने में क्यों लगे दो दिन : पांचों लड़ाकू विमान करीब 48 घंटे बाद भारत पहुंच गए। ऐसे में सबके जहन में सवाल है कि राफेल की 1389 प्रति घंटा की स्पीड होने के बावजूद उन्हें भारत आने में करीब दो दिन क्यों लगे? दरअसल ये विमान फ्रांस से 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके आ रहे है। राफेल लड़ाकू विमानों को फ्रांस के मैरिग्नैक से अंबाला आने में ज्यादा वक्त इसलिए लगा है। क्योंकि फाइटर जेट्स हालांकि सुपरसोनिक स्पीड से उड़ान भरते हैं, लेकिन उनमें फ्यूल कम होता है और वे ज्यादा दूरी तय नहीं कर पाते हैं। राफेल का फ्लाईट रेडियस करीब एक हजार किलोमीटर का है (यानि कुल दो हजार किलोमीटर एक बार में उड़ पाएंगे)। इसीलिए उनके साथ फ्रांसीसी फ्यूल टैंकर भी साथ में आए हैं, ताकि आसमान में ही रिफ्यूलिंग की जा सके. यही वजह है कि यूएई के अल-दफ्रा बेस पर राफेल विमानों ने हॉल्ट किया था।