[highlight] [/highlight] मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़ : इतिहास और ज्योतिष शास्त्र गवाह हैं कि जब भी गगन में 5 से अधिक ग्रह एक ही राशि में आए हैं, विश्व में भारी उथल पुथल हुई है। यदि इतिहास देंखें तो 1861 में षष्ठ ग्रही योग, 1901 में पंच ग्रही,1910 में सप्तग्रही,1921 में षष्ठ ग्रही, 1941 में पंच ग्रही,1962 में अश्टग्रही,2019 में पंचग्रही और 2021 में सप्त ग्रही योग बने हैं।
चाहे यह अष्टग्रही योग 1962, या 1979 में बने हों या 2021 में, संसार में एक अभूतपूर्व परिवर्तन आया है जिसने अधिकांश देशों का भूगोल, समाज, आस्था , नीतियां तक बदल डालीं। इस वर्ष लगभग 25 देशों में जनता सरकार के विरुद्ध सड़कों पर उतर आई है, जनाक्रोश, हिंसा, रक्तपात, सांप्रदायिक दंगे, तख्ता पलट, हिंसक आंदोलन, प्राकृतिक आपदाएं, भूकंप, अप्रत्याशित दुर्धटनाएं, अप्रत्याशित बर्फबारी, समुद्री तूफान, सीमाओं पर टकराव, देश की आंतरिक सीमाओं में ही विवाद देखने को मिला है। इसका उल्लेख और भविष्यवाणी, हमने नया साल आरंभ होते ही अपने लेख ’ कैसा रहेगा 2021 का साल ?’ में की थी और लगभग 6 न्यूज चैनल्ज पर अपने कार्यक्रम में भी किया था।
7 ग्रहों का अद्भुत संगम हो जाएगा
9 फरवरी को गगन में 7 सितारों का मिलन मकर राशि में होने जा रहा है जो विश्व में अप्रत्याशित तथा दूरगामी प्रभाव लाएगा। इस दिन मकर राशि में पहले से ही सूर्य, ,बुध, गुरु, शुक्र, शनि तथा प्लूटो ग्रह विराजमान है। और चंद्रमा के जुड़ जाने से 7 ग्रहों का अद्भुत संगम हो जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के कई ग्रंथों के अनुसार जब भी एक राशि में 5 से अधिक ग्रह एकत्रित होते हैं , विश्व में कई तरह के परिवर्तन आरंभ होने आरंभ हो जाते हैं।
विश्व के कई देशों में उथल पुथल रही
ज्योतिष के ये सूत्र , इतिहास में , पूरे विश्व ने फलित होते देखे हैं जिसके दूरगामी प्रभाव रहे हैं। अभी हम इतिहास के बहुत पुराने तथ्यों पर जाने की बजाय, 59 साल पहले 4 फरवरी, 1962 में बने अष्टग्रही के योग की चर्चा कर लें जब भारत ही नहीं विश्व के कई देशों में उथल पुथल रही। भारत में ग्रह शाति के लिए जगह जगह हवन भी किए गए थे और ऐसे ग्रहों की युति के कारण युद्ध की आशंका ज्योतिषियों द्वाारा व्यक्त की गई थी। और यह भविष्यवाणी , 20 अक्तूबर 1962 को सच हो गई जब चीन ने भारत पर हमला कर दिया और हमें बहुत नुक्सान सहना पड़ा।
चीन भारत का स्थाई दुश्मन बन गया
यह सब मकर राशि में 8 ग्रह होने के फलस्वरुप हुआ। तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरु की नाम राशि भी मकर थी अतः उनकी प्रतिष्ठा को भी धक्का लगा। जैसा कि हमने पहले कहा कि ऐसे ग्रहों की युतियों के दूरगामी परिणाम होते हैं जो सदियों तक चलते हैं तो 1962 से लेकर आज तक चीन भारत का स्थाई दुश्मन बन गया और हमेशा ही रहेगा। भारत के अलावा रुस और क्यूबा के मध्य झगड़े हुए, विश्व की राजनीति का ध्रुवीकरण हुआ। अमेरिका के राष्ट्र्पति कैनेडी की सनसनीखेज हालत में हत्या हुई।
विश्व में एक स्थाई बदलाव आएगा
सितंबर 1979 में जब सिंह राशि में 5 ग्रह आए तो आपको याद होगा, पंजाब में दो संप्रदायों के मध्य खूनी झड़पों के बाद उग्रवाद फैलने लगा। इसी कालख्ंाड में इस्लामिक देशों ने भी उथल पुथल मचानी शुरु की और आज यह विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया। अर्थात जिस बार भी एक राशि में 5 या इससे अधिक ग्रह आएंगे, विश्व में एक स्थाई बदलाव आएगा जिसके दूरगामी परिणाम दुनिया को भुगतने पड़ेंगे। इसी प्रकार 26 दिसंबर, 2019 को सूर्य ग्रहण के साथ धनु राशि में 5 ग्रह आए तो कोरोना महामारी का जन्म हो गया जो अब आने वाली सदी में याद रखा जाएगा कि इसके कारण संसार में कितनी जानें गई, आर्थिक मंदी आई, पूरे विश्व की जीवन शैली भी बदल गई।
लंबे काल तक जनजीवन को प्रभावित करेंगे
यही नहीं एक नए किस्म के जनाक्रोश ने भी जन्म ले लिया। जनांदोलन का स्टाईल बदल गया। शाहीन बाग टाईप अव्यवस्था , किसान आंदोलन में ट्रैक्टरों का प्रदर्शन, लाल किले पर तिरंगे का अपमान, लंबा संघर्ष , नई शब्दावली का जन्म और ऐसे कितने ही नए संदर्भ सामने आए जो सालों साल आगे बढ़ते रहेंगे यानी जो हालात इन ग्रहों के अधीन बनेंगे , वे एक या दो सालों के लिए नहीं अपितु एक लंबे काल तक जनजीवन को प्रभावित करेंगे।
2021 में इस सप्तग्रही योग के कारण भारत और विश्व क्या क्या देखने वाला है, यह ज्योतिषीय गणना का खास विषय है। इसका प्रभाव विश्व व्व्यापी होगा।
शनि मकर राशि में अप्रैल 2022 तक रहेंगे
हर देश में जनाक्रोश, जनांदोलन बढ़ेंगे। जब तक शनि- गुरु की युति रहेगी और शनि मकर राशि में अप्रैल 2022 तक रहेंगे, जनता हर देश में अपनी अपनी सरकारों से टकराती रहेगी। अमरीका, फ्रांस, इजरायल, हालैंड, दक्षिण अमरीका, पाकिस्तान जैसे देशों में जनता सड़कों पर है। म्यांमार में तख्ता पलट हुआ। भारत कैसे अछूता रह सकता है ? भारत में तो स्थिति और विकट और विकराल हो सकती है।
आगामी चुनावों में हिंसा, सांप्रदायिक दंगे, धार्मिक उन्माद, प्राकृतिक आपदाएं, बड़े भूकंप ,समुद्री तूफान, समुद्री लड़ाई, अपनी मांगे मनवाने के लिए प्लेन हाईजैकिंग, राजनीतिक उठापटक, स्केंडल आदि एक के बाद एक आने की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। चूकि 7 ग्रहों का अपना अपना स्वभाव है, उसी के अनुसार वे अपना अपना प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में दिखाते रहेंगे।
खनिज तथा जमीन से उगने वाली वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे। सोना, चांदी, पेट्रोल , अनाज तथा जमीन के अपने मूल्यों में अप्रत्याशित वृद्धि की संभावना है। हालांकि कृषि उत्पादन अच्छा रहेगा और किसानो को लाभ भी होगा। सरकार ऐतिहासिक और कठोर फैसले लेगी जिसके कारण श्रमिक या किसान वर्ग और नाराज हो सकता है। सरकारी निर्णय गलत हो सकते हैं जिससे जनता एक बार और ज्यादा भड़क सकती है।
वर्तमान आंदोलन में कुछ सुधार आएगा
सरकार को किसान संघर्ष के कारण कई संशोधन करने पड़ेंगे । भारत सहित कई देशों में सर्वोच्च न्यायलयों को सरकार के कार्यक्लापों में हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।अप्रैल 6 ,2021 के बाद जब गुरु और शनि अलग होंगे, तब कहीं जाकर वर्तमान आंदोलन में कुछ सुधार आएगा परंतु शनि ,अप्रैल 2022 तक मकर में ही रहनें के कारण एक आंदोलन समाप्त होगा तो कुछ नए किस्म का आक्रेाश चल पड़ेगा। शेयर मार्किट एक बार बुरी तरह से क्रैश हो सकती है। सोना खरीदने का यह स्वर्ण अवसर होगा।
भारत में सब कुछ खराब ही रहेगा
मकर राशि मोदी जी की कुंडली के तृतीय , पराक्रम भाव में है जिसके कारण वे अपनी कुशल राजनीति से वर्तमान अव्यवस्था पर काबू पाने में काफी हद तक कामयाब रहेंगे। भारत में सब कुछ खराब ही रहेगा, ऐसा नहीं है। नया संवत 2078, 13 अप्रैल को आरंभ होने जा रहा है जिसमें राजा और मंत्री दोनों ही मंगल हैं। क्म्युनिकेशन के क्षेत्र में क्रांति आएगी। सॉफटवेयर, सूचना एवं प्रौद्यागिकी क्षेत्र, रोड ट्र्र्र्ांस्पोर्ट में , विज्ञान के क्षेत्र में अप्रत्याशित तथा अभूतपूर्व सुखद परिवर्तन एवं प्रगति होगी।
कनाडा का प्रधान मंत्री एक दिन भारतीय बनेगा
आर्थिक प्रगति होगी। कोरोना वैक्सीन के कारण भी भारत की साख विश्व में बढ़ेगी। अधिकांश देशों में भारत के योग का प्रसार होगा। भारतीय मूल के नागरिक अन्य देशों में सरकारी पदों पर विराजमान होंगे। अमरीका में शुरुआत हो चुकी है। वह दिन दूर नहीं जब कनाडा का प्रधान मंत्री एक दिन भारतीय बनेगा। यही नहीं भारत कई मायनों में विश्व गुरु बनने की राह में अग्रसर होगा और अधिकांश देश भारत को अपना मार्गदर्शक मानेंगे।
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