प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आश्रित कोटे से जुड़े एक केस में अहम् निर्णय लिया है. हाई कोर्ट ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में नई व्यवस्था बनाते हुए बहू को भी परिवार की श्रेणी में रखने का निर्देश जारी किया है. इसके साथ ही गवर्नमेंट को 5 अगस्त 2019 के आदेश में परिवर्तन करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने बोला है कि परिवार में बेटी से अधिक बहू का अधिकार है.
अब पहला अधिकार बहू का: ख़बरों की माने तो यूपी आवश्यक वस्तु आदेश 2016 में बहू को परिवार की श्रेणी में नहीं रखा गया है और इसी आधार पर प्रदेश गवर्नमेंट ने 2019 का निर्देश जारी किया था, जिसमें बहू को परिवार की श्रेणी में नहीं रखा जाता है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लाइसेंसी की मौत पर वारिसों को सस्ते गल्ले की दुकान के आवंटन केस में पुत्र वधू को परिवार में शामिल करने का स्टेट गवर्नमेंट को निर्देश दिया है. कोर्ट के निर्णय के उपरांत लाइसेंसधारी की मौत होने के बाद इस पर पहला अधिकार बहू का माना जाएगा.
क्या है मामला: जहां इस बात का पता चला है कि खाद्य एवं आपूर्ति सचिव की ओर से 5 अगस्त 2019 को बहू को परिवार में शामिल न करने का एक शासनादेश भी निकाल दिया गया था. इस निर्देश के आधार पर राशन दुकान का लाइसेंस बहू को देने से जिला आपूर्ति अधिकारी ने 17 जून 2021 को मना किया गया था. इस निर्णय के विरुद्ध पुष्पा देवी ने याचिका दायर की थी. जस्टिस नीरज तिवारी ने पुष्पा देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए ये महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है.
प्रमुख सचिव खाद्य को दिया ये निर्देश: मिली जानकारी के अनुसार हाई कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को निर्देश दिया है कि नया शासनादेश जारी होने या परिवर्तन किए जाने के 2 हफ्ते में याची को वारिस के नाते सस्ते गल्ले की दुकान का लाइसेंस देने पर विचार जरूर किया जाना चाहिए. दरअसल, याची की सास के नाम सस्ते गल्ले की दुकान का लाइसेंस था. सास की 11 अप्रैल 2021 को मौत हो गई. याची के पति की पहले ही जान जा चुकी थी. विधवा बहू याची और उसके दो नाबालिग बच्चों के अलावा परिवार में अन्य कोई वारिस नहीं है.