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दिल्ली सरकार नगर निगम के साथ कर रही सौतेली मां जैसा व्यवहार : अमित शाह

नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में दिल्ली की तीनों नगर निगमों का विलय करके एक नगर निगम बनाने संबंधी विधेयक पर चर्चा शुरू की। उन्होंने कहा, “मैं जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि दिल्ली सरकार दिल्ली के तीनों नगर निगमों के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार कर रही है। इसलिए मैं बिल लेकर आया हूं कि दिल्ली में तीनों नगर निगमों को फिर से एक करके एक ही नगर निगम बनाया जाए। एक ही नगर निगम पूरी दिल्ली की सिविक सेवाओं का ध्यान रखेगा जो कि उचित होगा।

नगर निगम पारदर्शिता के साथ चलाया जाए इसके भी प्रावधान इस बिल में किए गए हैं। पार्षदों की संख्या ज्यादा से ज्यादा 250 तक करने का भी इसमें प्रस्ताव है।” शाह ने लोकसभा को बताया कि दिल्ली में तीनों नगर निगमों के 1 लाख 20 हजार कर्मचारी काम करते हैं। राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, केंद्रीय मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बैठकों का केंद्र भी दिल्ली में है। ऐसे में किसी भी जिम्मेदारी का निर्वाहन नगर निगम ढंग से कर पाए यह बहुत जरूरी है।

वर्ष 2011 में दिल्ली नगर निगम के बंटवारे के दौरान अपनाई गई नीतियों का जिक्र करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि एक ही शहर के तीनों नगर निगमों को चलाने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं। संसाधनों और दायित्वों का जब निगमों में बंटवारा किया गया, सोच-समझकर कर बंटवारा नहीं किया गया। उस समय बंटवारा इस तरह से किया गया कि तीन में से एक नगर निगम तो हमेशा सरप्लस में रहेगा, बाकी दो निगमों की जिम्मेदारी तो अधिक होगी, लेकिन आय हमेशा कम रहेगी। इसके कारण ढेर सारी परेशानियां उत्पन्न होती हैं।

शाह ने कहा कि तीनों नगर निगमों को मिलाकर एक बनाने से सिविक कार्य में बेहतरी होगी और सुधार आएगा। इसके अलावा सरकार का तीनों नगर निगमों को एक करने का कोई और उद्देश्य नहीं है। वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि नगर निगम का विलय या इस संबंध में कोई और निर्णय लेने का अधिकार केवल दिल्ली विधानसभा के पास है। केंद्र सरकार इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

मनीष तिवारी ने सरकार से पूछा कि कि वह दिल्ली नगर निगम चुनाव को कब तक टालना चाहती है? क्या यह चुनाव अगले दो-तीन वर्षो तक टाला जाएगा? उन्होंने यह सवाल नगर निगम डीलिमिटेशन के विषय पर सरकार के समक्ष रखा। तिवारी ने कहा, “हमारी जानकारी में यह बात आई है कि सरकार निगम चुनाव से पहले डीलिमिटेशन पूरा कर लेना चाहती है, लेकिन 2021 का जो डीलिमिटेशन दिल्ली में होना था, वह कोरोना के कारण स्थगित करना पड़ा। अब अगला डीलिमिटेशन 2023 तक होने की उम्मीद नहीं है, तो ऐसे में क्या 2023 तक दिल्ली में नगर निगम चुनाव नहीं करवाए जाएंगे।”

मनीष तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार नगर निगम के संचालन के लिए एक स्पेशल ऑफिसर की नियुक्ति करने जा रही है, ऐसे में लगता है कि सरकार बिना चुनाव के नगर निगम को चलाएगी।

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