आजम खां की जमानत याचिका पर सुनवाई में देरी से सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा- यह न्याय के साथ मजाक
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जमीन कब्जाने के मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां की जमानत याचिका पर सुनवाई में देरी पर शुक्रवार को नाराजगी जताई और इसे न्याय के साथ मजाक करार दिया। जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने कहा कि खां को 87 में से 86 मामलों में जमानत मिल चुकी है और वह 11 मई को इस मामले पर सुनवाई करेगी। उन्हें एक मामले को छोड़कर सभी मामलों में काफी पहले जमानत मिल चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि यह न्याय के साथ मजाक है। हम और कुछ नहीं कहेंगे। हम बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करेंगे।
जमानत अर्जी पर आदेश सुरक्षित रखा
खां की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जौहर विश्वविद्यालय परियोजना के लिए शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में खां की जमानत अर्जी पर गुरुवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले 4 दिसंबर 2021 को भी हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। लेकिन बाद में राज्य सरकार ने एक आवेदन किया और नए हलफनामे के माध्यम से कुछ नए तथ्य पेश करने की अनुमति मांगी, जो गुरुवार को दाखिल किए गए।
पूर्व मंत्री के खिलाफ ये हैं आरोप
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री खां और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर शत्रु संपत्ति हड़पने तथा करोड़ों रुपये से अधिक के सार्वजनिक धन के गबन को लेकर रामपुर के आजम नगर थाने में आईपीसी और सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि विभाजन के समय इमामुद्दीन कुरैशी नामक व्यक्ति पाकिस्तान चला गया था और उसकी जमीन को शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया, लेकिन खान ने अन्य लोगों की मिलीभगत से 13.842 हेक्टेयर के संबंधित भूखंड पर कब्जा कर लिया।