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भारतीय वायुसेना का मल्टीरोल लड़ाकू विमान की तैनाती बढ़ाने पर जोर

नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) बमवर्षक और जमीनी हमलों (Bombers and Ground Attacks) के लिए अलग-अलग विमानों की खरीद के बजाय मल्टीरोल लड़ाकू विमानों (multirole fighter planes) की तैनाती बढ़ाने पर ही जोर देगी। वायुसेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, जिस प्रकार की चुनौतियां सामने हैं, उनका आकलन किया गया है और भारतीय वायुसेना की जरूरत मल्टीरोल लड़ाकू विमान है।

मल्टीरोल लड़ाकू विमान हर बम बरसाने, मिसाइल हमले और पीछा करने समेत तमाम भूमिकाओं में सफल रहते हैं। आजादी से पूर्व भारतीय वायुसेना के पास 147 बमवर्षक विमान होते थे। इसके बाद 1961 में हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited) (एचएएल) ने एचएफ-24 मारुत बमवर्षक विमान तैयार किया था, जिसे 1961 में वायुसेना में शामिल किया गया। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में इन विमानों ने अहम भूमिका निभाई। 1990 आते-आते ये बमवर्षक वायुसेना से हटा लिए गए। तब से वायुसेना ने बमवर्षक विमान नहीं खरीदे। फिलहाल वायुसेना के पास एक भी बमवर्षक विमान नहीं है।

दरअसल, वायुसेना में विभिन्न प्रकार के हमलों के लिए अलग-अलग किस्म के लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया जाता है। राफेल अत्याधुनिक मल्टीरोल लड़ाकू विमान है, वह सभी युद्धक कार्य कर सकता है। जगुआर ग्राउंड अटैक विमान है, जो हवा से जमीन पर हमलों के लिए बेहतर माना जाता है और बमवर्षक के रूप में भी इसका इस्तेमाल होता है, जबकि मिग इंटरसेप्टर विमान है। यदि दुश्मन का कोई विमान हमले के लिए आ रहा हो तो यह उसका पीछा करने और उसे गिराने के लिए बेहतरीन विमान है।

जिस प्रकार के बमवर्षक विमान एच-6 तथा जेएच-7 चीन के पास हैं। उनकी खूबी यह होती है कि उनका इस्तेमाल सिर्फ बम गिराने के लिए ही किया जाता है। उनमें बम रखकर ले जाने के लिए बहुत ज्यादा जगह होती है, जिसकी अन्य लड़ाकू विमानों में कमी होती है। बता दें कि वायुसेना 114 मल्टीरोल लड़ाकू विमानों की खरीद की तैयारी कर रही है।

वायुसेना के उप प्रमुख संदीप सिंह कहते हैं कि मल्टीरोल लड़ाकू विमान सभी प्रकार के कार्य को अंजाम देने में सक्षम हैं। ‘आज वायुसेना की मौजूदा जरूरत ज्यादा से ज्यादा मल्टीरोल लड़ाकू विमानों की है, न की बमवर्षक विमानों की, इसलिए हमारा फोकस भविष्य में भी ज्यादा से ज्यादा मल्टीरोल लड़ाकू विमानों की खरीद की है।’ यह पूछने पर कि क्या तेजस को मल्टीरोल लड़ाकू विमान बनाया जा सकता है? उन्होंने कहा, ‘हां, यह संभव है।’

वाइएस एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) ओ.पी. तिवारी ने कहा कि चीन के पास करीब 300 बमवर्षक विमान हैं, लेकिन भारतीय वायुसेना के पास इस कार्य के लिए विशिष्ट लड़ाकू विमान नहीं है। ज्यादातर मामलों में जगुआर का इस्तेमाल किया जाता है, परंतु वह भी अपना जीवनकाल पूरा करने के करीब पहुंच चुके हैं। तिवारी के अनुसार, चीन की चुनौती के मद्देनजर बमवर्षक विमान वायुसेना की जरूरत हैं।

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