रायपुर : होली पर्व के बाद महाराष्ट्र में यह नृत्य किया जाता है और देवी की पूजा के साथ उत्सव मनाया जाता है। कथा में दो कलाकार नरसिंह का रूप धारण कर नृत्य करते हैं और ढोल पावरी तथा संबल वाद्य यंत्रों के माध्यम से पैदा हुई ध्वनि से कथा दर्शकों के समक्ष जीवंत हो जाती है।
इसके साथ ही नर्तक काल भैरव और बेताल के मुखौटे भी पहनते हैं जिससे लोक में प्रचलित बहुत सी कथाएं लोकनृत्य के माध्यम से अभिव्यक्त हो जाती है। इसके साथ ही कलाकार पिरामिड का आकार भी लेते हैं।
लोकनृत्य के साथ होली त्योहार का उत्सव महाराष्ट्र में पूरा होता है। सोंगी मुखौटा नृत्य के इस अद्भुत दृष्य को आज राष्ट्रीय आदिवासी लोक नृत्य महोत्सव के माध्यम से दर्शकों ने देखा और इसका पूरा आनंद लिया।