मध्य प्रदेश

CM हेल्पलाइन में अफसरों की जिम्मेदारी होगी कम, सिस्टम में मैनुअल एस्कैलेशन सुविधा शुरू

भोपाल: सीएम हेल्पलाइन में कम्प्लेन करने के बाद अब अगर किसी व्यक्ति की समस्या का निराकरण समय पर नहीं होता तो उसकी कम्प्लेन लेवल 4 वाले अफसरों के लिए अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और विभागाध्यक्ष स्तर पर आटो ट्रांसफर नहीं होगी। सीएम हेल्पलाइन साफ्टवेयर में यह सुविधा बंद कर दी गई है। इन अफसरों की जिम्मेदारी कम करने के लिए सिस्टम में मैनुअल एस्कैलेशन सुविधा शुरू कर दी है। इसका असर यह होगा कि शासन स्तर पर अब वरिष्ठ अधिकारियों के लेवल पर कम्प्लेन पेंडिंग होने के बाद भी जिम्मेदारी तय नहीं की जा सकेगी।

आमजन में लोकप्रिय बनी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वपूर्ण परिकल्पनाओं में से एक सीएम हेल्पलाइन की ओर से व्यवस्था जो व्यवस्था अब तक प्रभावी रही है उसके अनुसार किसी भी व्यक्ति की समस्या का निराकरण समय सीमा में नहीं हो पाने पर कम्प्लेन आटोमेटिक हायर लेवल पर शिफ्ट हो जाती थी। इसका असर यह होता था कि सीनियर अफसरों तक कम्प्लेन पेंडिंग दिखने पर वे मैदानी अफसरों को निराकरण के लिए दबाव बनाते थे और लोगों की समस्याओं का निराकरण होता था। अब इस व्यवस्था में बदलाव कर दिया गया है। इसके मुताबिक जिला स्तर से शासन स्तर पर लेवल वन से लेवल 2, लेवल 3 के जरिये समय पर निराकरण न होने के बाद भी कम्प्लेन लेवल 3 के आगे नहीं जा सकेगी। ऐसे में लेवल 4 में आने वाले शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी कम्प्लेन निराकरण के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।

नीतिगत विषय तो ही ट्रांसफर
सीएम हेल्पलाइन सिस्टम में किए गए बदलाव के अनुसार लेवल 3 से लेवल 4 में कम्प्लेन तभी मैनुअल ट्रांसफर की जा सकेगी जब नीतिगत विषय से संबंधित शिकायत हो जिसमें जिला स्तर के अधिकारी निर्णय लेने में सक्षम न हों। ऐसी शिकायत हो जिसमें राज्य से बजट की मांग की गई है। साथ ही ऐसे तकनीकी मामले हो जिनका निराकरण राज्य या केंद्र से संबंधित हो।

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