देहरादून (गौरव ममगाई): पिछले दिनों उत्तराखंड कैबिनेट ने पर्यावरण से जुड़े कई बड़े फैसले लिए हैं, आखिर ऐसा क्या है कि इन फैसलों को ग्लास्गो के कॉप-26 (COP-26) सम्मेलन के लक्ष्यों से जोड़कर देखा जाने लगा है. आखिर क्या है क्या है ये कॉप-26 सम्मेलन ? और उत्तराखंड से क्या है कनेक्शन ? चलिए आइए इस आर्टिकल में समझते हैं.
संयुक्त राष्ट्र की ओर से पर्यावरण संरक्षण हेतु हर वर्ष विशेष सम्मेलन का आयोजन होता है, जिसमें सदस्य देश हिस्सा लेकर पर्यावरण के प्रति सामूहिक जवाबदेही तय करते हैं. 2020 में ग्लास्गो में 26वां सम्मेलन हुआए जिसे कॉप-26 का नाम दिया गया. इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2070 तक भारत को शून्य कार्बन करने के लक्ष्य की घोषणा की थीण. वहीं, अमेरिका, चीनए रूस समेत कई अन्य बड़े देशों ने 2050 तक शून्य कार्बन करने की घोषणा कीण् वहींए कॉप-27 में विश्व समुदाय ने जलवायु नुकसान प्रतिपूर्ति कोष के गठन की घोषणा की थी.
कार्बन शून्य लक्ष्य के तहत भारत में जीवांश्म ईधन के प्रयोग को करते नवीनीकरणीय ऊर्जा के संसाधनों को उपयोग में लाया जाना है. इस कड़ी में बिजली के क्षेत्र में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा व तापीय ऊर्जा को नये विकल्प के रूप में विकसित किया जाने लगा है, लेकिन परिवहन व कई अन्य क्षेत्रों में इस दिशा में प्रगति नहीं हो पा रही है.
इस कड़ी में 30 अक्टूबर को उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने कई बड़े फैसले लिए हैं. इनका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन को रोकना है. आमजन की दृष्टि से इन फैसलों को खासा सख्त जरूर माना जा सकता है, लेकिन राज्य के साथ देश व विश्व में पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से ऐसे कड़े कदम उठाए जाने बेहद आवश्यक थे. सीएम धामी के इन कड़े कदमों की खासी चर्चाएं हो रही हैं.
क्या हैं निर्णयः
- कबाड़ वाहन नीतिः 15 साल पुराने वाहनों को कबाड़ के रूप में बेचना अनिवार्य। इस पर सरकार वाहन कर में छूट देगी, निजी वाहन पर 25 व व्यावसायिक वाहन पर 15 प्रतिशत छूट मिलेगी।
- सरकार नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सोलर वाटर हीटर अनुदान योजना शुरू करेगी. इसमें सौर ऊर्जा से चलने वाले हीटर लगाने पर सरकार घरेलू उपभोक्ताओं को 50 प्रतिशत व निजी उपभोक्ताओं को 30 प्रतिशत अनुदान देगी.
- चेक डैमः 11 पर्वतीय जिलों में चेक डैम बनाए जाएंगे. इसमें बारिश के पानी को संरक्षित किया जाएगा, ताकि इस पानी का उपयोग सिंचाई, बिजली समेत अन्य कामों में आ सके.
क्या है कार्बन शून्यः
कार्बन शून्य का अर्थ है कार्बन उत्सर्जन को न्यून करना. इसमें परंपरागत ऊर्जा के स्रोत (डीजल, पेट्रोल) के प्रयोग को कम करते हुए नवीनीकरणीय ऊर्जा (सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, तापीय ऊर्जा) के स्रोत को अपनाया जाएगा. बता दें कि परंपरागत स्रोत से निकलने वाला धुंए में नाइट्रस आक्साइड, सल्फर-डाई-आक्साइड व कई अन्य जहरीली गैसें निकलती हैं.