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इजराइली PM नेतन्याहू को अपने खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी होने का डर, ब्रिटेन-जर्मनी से मदद मांगी

नई दिल्ली: इजराइल को हमास के खिलाफ युद्ध के बीच डर है कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है। “टाइम्स ऑफ इजराइल” के अनुसार, गाजा में अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप में इजराइल के कई राजनेताओं और सैन्य नेताओं के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी हो सकता है। दरअसल, एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल को सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली थी कि ICC आने वाले समय में वारंट जारी करने पर विचार कर रही है। इसके बाद नेतन्याहू के कार्यालय में कई विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर तत्काल मीटिंग की थी। इस मीटिंग के दौरान वारंट को टालने के तरीकों पर चर्चा हुई थी।

अरेस्ट वारंट टालने के लिए किस की मदद लेगा इजराइल
इजराइल के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस बैठक में विदेश मंत्री काट्ज, जस्टिस मिनिस्टर यारिव लेविन और स्ट्रैटेजिक अफेयर्स मिनिस्टर रॉन डेरमिर शामिल हुए थे। मीटिंग में इस बात पर सहमति बनी थी कि इजराइल अरेस्ट वारंट टालने के लिए ICC और अन्य राष्ट्रों के विदेश डिप्लोमैटिक अधिकारियों से संपर्क करेगा। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ब्रिटेन और जर्मनी के विदेश मंत्रियों से इस मामले में मदद मांगी थी। टाइम्स ऑफ इजराइल के मुताबिक नेतन्याहू के मंत्रियों को डर है कि गाजा में मानवीय संकट को देखते हुए यह वारंट जारी हो सकता है।

इससे पहले फरवरी में हमास की कैद से रिहा हुए कुछ इजराइलियों ने ICC में हमास के युद्ध अपराध के खिलाफ शिकायत की थी। उन्होंने हमास पर किडनैपिंग, टॉर्चर और शारीरिक हिंसा का आरोप लगाया था। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के चीफ प्रॉसीक्यूटर करीम खान पिछले साल दिसंबर में इजराइल के दौरे पर आए थे। इस दौरान वे उन क्षेत्रों में भी गए थे, जहां हमास ने हमला किया था। दौरे के आखिर में करीम खान ने कहा था कि इजराइल में हमास की क्रूरता के सबूत मौजूद हैं। अब हमास के खिलाफ कार्रवाई शुरू करना है उनका कर्तव्य है।

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट
1 जुलाई 2002 को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी ICC की शुरुआत हुई थी। ये संस्था दुनियाभर में होने वाले वॉर क्राइम, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच करती है। ये संस्था 1998 के रोम समझौते पर तैयार किए गए नियमों के आधार पर कार्रवाई करती है। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का मुख्यालय द हेग में है। ब्रिटेन, कनाडा, जापान समेत 123 देश रोम समझौते के तहत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के सदस्य हैं। ICC ने यूक्रेन में बच्चों के अपहरण और डिपोर्टेशन के आरोपों के आधार पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था।

ICC सभी सदस्य देशों को वारंट भेजता है
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सभी सदस्य देशों को वारंट भेजता है। ICC के वारंट के लिए देशों को गिरफ्तारी करने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ता। इसकी वजह यह है कि हर संप्रभु देश अपने आंतरिक और विदेशी नीतियों के लिए स्वतंत्र होता है। ICC भी हर देश की संप्रभुता का सम्मान करती है। अपने 20 साल के इतिहास में ICC ने मार्च 2012 में पहला फैसला सुनाया था। ICC ने ये फैसला डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के उग्रवादी नेता थॉमस लुबांगा के खिलाफ सुनाया था। जंग में बच्चों को भेजे जाने के आरोप में उसके खिलाफ केस चलाया गया था। इस आरोप में उसे 14 साल के लिए जेल की सजा सुनाई गई थी।

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