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चाबहार पर 10 साल वाले करार से चीन-पाक को बेचैन करेगा भारत, क्या है रणनीति

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2024 के बीच भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। खबर है कि भारत अब ईरान के साथ चाबहार पोर्ट के प्रबंधन से जुड़े समझौते को अंतिम रूप देने वाला है। कहा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल सोमवार इस संबंध में ईरान रवाना हो रहे हैं। इस ईरान के साथ भारत के इस अहम कदम को पाकिस्तान और चीन को करारा जवाब भी माना जा रहा है।

भारत इस समझौते के बाद एक दशक के लिए चाबहार पोर्ट का प्रबंधन संभालेगा। खास बात है कि यह पहली बार होगा जब भारत विदेश में किसी बंदरगाह का काम संभालने वाला है। अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरेशियन क्षेत्र के बीच कनेक्टिविटी के मामले से भी चाबहार पोर्ट अहम होगा। इसके अलावा जियोपॉलिटिक्स के लिहाज से भी यह भारत और ईरान के बीच बड़ा समझौता है।

खास बात है कि कजाकस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे कई मध्य एशिया के कई देश इंडियन ओशियन रीजन (IOR) तक पहुंच हासिल करने के लिए चाबहार का इस्तेमाल करने में दिलचस्पी दिखा रहे थे। कहा जा रहा है कि इस बंदरगाह का फायदा उन भारतीय व्यापारियों और निवेशकों को होगा, जो मध्य एशिया के बाजारों को लेकर दिलचस्पी लेते हैं।

दरअसल, ऐसी योजना बनाई जा रही है कि चाबहार को इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर यानी INSTC से जोड़ा जाएगा। इसके चलते भारत, ईरान के जरिए रूस से कनेक्ट होगा। फायदा यह होगा कि भारत, पाकिस्तान को बायपास कर अफगानिस्तान तक और मध्य एशिया तक पहुंच मजबूत कर सकेगा। इसे पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट औ चीन के BRI यानी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का भी जवाब माना जा रहा है।

इधर, पाकिस्तान लगातार इस कोशिश में लगा है कि IOR तक पहुंच हासिल करने के लिए मध्य एशिया के देश कराची पोर्ट का इस्तेमाल करें। वहीं, भारत मध्य एशिया के देशों को संकेत दे रहा है कि चाबहार उनके लिए ज्यादा मुफीद साबित होगा। खबर है कि अर्मेनिया भी INSTC के जरिए चाबहार पोर्ट से जुड़ना चाहता है।

साल 2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चाबहार का दौरा किया था, तब इस पर हस्ताक्षर किए गए थे। वहीं, 2018 में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भारत आए, तो दोनों कं बीच बंदरगाह में भारत की भूमिका में विस्तार पर बात की थी। इस मुद्दे पर 2024 में भी विदेश मंत्री एस जयशंकर के तेहरान दौरे पर भी हुई थी।

अब इस नए समझौते का मकसद लंबी अवधि को भी माना जा रहा है। नया समझौता 10 सालों तक जारी रहेगा और बाद में अपने आप ही इसका विस्तार हो जाएगा। पहले हुए समझौते में सिर्फ शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल शामिल है।

नए समझौते के तहत भारत चाबहार पोर्ट का संचालन कर सकेगा। बीते साल BRICS शिखर सम्मेलन में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के बीच चाबहार को लेकर चर्चाएं हुई थीं। इसके बाद गाजा संकट को लेकर हुई बातचीत में भी दोनों नेताओं के बीच चाबहार का मुद्दा उठा था।

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