उज्जैन : अमावस्या का दिन पितरों की पूजा और उनको प्रसन्न करने का होता है. इस साल की आषाढ़ अमावस्या 5 जुलाई दिन शुक्रवार को है. इस दिन नाराज पितरों को खुश करते हैं ताकि उनके आशीर्वाद से घर और पूरे परिवार की उन्नति हो. पितरों की नाराजगी के कारण परिवार की तरक्की रुक जाती है. ऐसी धार्मिक मान्यता है.
वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी का कहना है कि पितर जब नाराज होते हैं तो अपने वंश को श्राप दे देते हैं. अमावस्या या पितृ पक्ष के समय में तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म आदि न करने से पितर क्रोधित होते हैं. वे अतृप्त होने से दुखी हो जाते हैं. इसके कारण परिवार को पितृ दोष लगता है. शास्त्रों में पितरों की नाराजगी से संबंधित कुछ संकेतों के बारे में बताया गया है.
पितरों की नाराजगी के संकेत
- यदि आपके पितर नाराज होते हैं तो उस परिवार के वंश की वृद्धि नहीं होती है. उस परिवार के सदस्य संतानहीन होते हैं. इस वजह से उस परिवार की अगली पीढ़ी खत्म हो जाती है. संतान दोष को पितरों की नाराजगी का एक कारण माना जाता है. कई बार पितृ दोष के कारण विवाह में भी बाधा आती है या दांपत्य जीवन कष्टकारी हो जाता है.
- यदि आपके कार्यों में लगातार बाधाएं आती हैं, जो भी काम शुरु करते हैं, वह बीच में ही अटक जाता है. किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिलती है तो यह भी पितरों की नाराजगी का कारण माना जाता है.
- यदि घर के आंगन में पीपल का पौधा उग जाता है तो इसे अशुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों की नाराजगी के कारण घर के अंदर पीपल का पौधा उगता है.
- घर में हमेशा अशांति बनी रहती है. परिवार के सदस्यों के बीच छोटी-छोटी बातों पर वाद विवाद या झगड़े की स्थिति बन जाती है तो यह पितरों की नाराजगी का संकेत होता है.
- घर का कोई न कोई सदस्य अचानक दुर्घटना का शिकार हो रहा हो या फिर किसी रोग से पीड़ित हो रहा हो तो इसे भी पितरों की नाराजगी का संकेत माना जाता है.
- पितरों की नाराजगी के कारण आपको अचानक से धन हानि हो सकती है. बिजनेस में लगातार घाटा लगना भी इसका संकेत है. आर्थिक संकट में फंसे रहना भी नाराज पितरों का संकेत माना जाता है.
- घर के मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, उनपयन संस्कार आदि में पितरों की पूजा न करने, उनका तिरस्कार करने से भी वे नाराज हो जाते हैं.
इस संकेतों की मदद से पितर बताना चाहते हैं कि उनके वंश के लोग उन्हें तृप्त करें. उनके लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, पंचबलि कर्म आदि करें, जिससे वे तृप्त हों. उनको मुक्ति मिल सके.