अयोध्याः बाबर से पहले भी हुए थे 2 विदेशी आक्रमण, जब ‘हिंदू शासकों ने रौंद डाला’..
देहरादून (गौरव ममगाईं)। मर्यादा पुरुषोत्तम राम की जन्मभूमि अयोध्या प्रारंभ से ही विदेशी ताकतों के निशाने पर रही है। वैसे तो हम यही जानते हैं कि मुगल बादशाह बाबर के काल में सेनापति मीर बाकी द्वारा अयोध्या पर हमला किया गया था, लेकिन अयोध्या पर विदेशी हमलों का इतिहास इससे भी 1000 साल पुराना है। दरअसल, बाबर से भी पहले अयोध्या पर दो बार हमले हो चुके थे, ये दोनों ही हमले विदेशी शासकों द्वारा किये गये थे। आइये जानते हैं इन विदेशी आक्रमण की कहानी…
इतिहासकारों के अनुसार, अयोध्या पर सर्वप्रथम हमला यवन शासक मिनांडर द्वारा किया गया था। मिनांडर ने भारत पर 180 ईसा पूर्व में आक्रमण किया था। मिनांडर की सेना हिंद-कुश पर्वत को पार करते हुए पंजाब तक पहुंची। मिनांडर ने भारत के कई हिस्सों पर हमला किया और कब्जा कर लिया। इतिहासकारों के अनुसार, इस दौरान मिनांडर की सेना ने अयोध्या पर भी कब्जा कर लिया था, तब भारत के बड़े हिस्से में हिंदू अनुयायी शुंग वंश का शासन था। शुंग शासक द्युमत्सेन ने कुछ ही महीनों के भीतर मिनांडर की सेना को वहां से खदेड़ दिया था और अयोध्या को पूरी तरह विदेशी नियंत्रण से मुक्त कराया था।
इसके बाद 1034 ईस्वी में सालार मसूद गाजी ने भारत पर आक्रमण किया। इस दौरान गाजी ने अयोध्या पर भी आक्रमण करना चाहा, लेकिन वह सफल न हो सका। दरअसल, सालार मसूद गाजी दिल्ली, मेरठ, बुलंदशहर, बदायूं में मंदिरों को ध्वस्त करता हुआ अयोध्या के नजदीक तक आ पहुंचा था, तभी कौशल के राजा सुहेलदेव ने सालार मसूद गाजी की सेना पर हमला कर दिया, जिसमें सालार मसूद की मौत हो गई। बता दें कि सालार मसूद गाजी गुजरात के सोमनाथ मंदिर को कई बार लूटने वाले महमूद गजनवी का भांजा था।
ये वे घटनाएं हैं, जो हमारे सामने नहीं आ सकी हैं। हिंदू शासक सदियों से अयोध्या की रक्षा करते आये हैं। इसके लिए प्राण न्यौछावर करने से भी पीछे नहीं हटे। बाबर के काल में भी अयोध्या पर कब्जा करने के बाद अनेक हिंदू राजा व हिंदूरक्षकों ने समय-समय पर अयोध्या को मुक्त कराने के लिए लंबा संघर्ष किया है। इसी लंबे संघर्ष ने भारवासियों के मन में अयोध्या के प्रति कई गुना अधिक प्रेम व स्नेह का भाव पैदा किया है। यही वजह है कि आज अयोध्या में श्रीराम लला को विराजमान होते देखना हर किसी के लिए गौरवपूर्ण व भावुक क्षण है।