नई दिल्ली : आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) ने पिछले आईटी रिटर्न के लिए जुर्माना अलग करने की कांग्रेस पार्टी की अपील खारिज कर दी है। कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन ने पार्टी की तरफ से कहा कि आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ हम कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं, इसके खिलाफ जल्द ही उच्च न्यायालय जाएंगे। बता दें कि आयकर विभाग ने कांग्रेस और यूथ कांग्रेस से जुड़े चार बैंक अकाउंट को फ्रीज कर दिया था। आयकर विभाग ने 210 करोड़ की रिकवरी मांगी है, यानी कांग्रेस को यह रकम जुर्माना के तौर पर आयकर विभाग को देनी होगी। इसके खिलाफ पार्टी ने आयकर अपीलीय प्राधिकरण में अपील की थी, लेकिन इस अपील को खारिज कर दिया गया है।
अजय माकन ने कांग्रेस के फंड को रोकने वाले आईटी ट्रिब्यूनल के आदेश को लोकतंत्र पर हमला बताया है। उन्होंने कहा कि आईटी ट्रिब्यूनल ने ठीक लोकसभा चुनावों से पहले ही ऐसा आदेश क्यों दिया है। इससे पहले क्यों नहीं? उन्होंने पूछा, “ऐसी स्थिति में कोई निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद कैसे कर सकता है जब आयकर अधिकारियों ने कांग्रेस पार्टी के खातों से 270 करोड़ रुपये की धनराशि जब्त कर ली है या निकाल ली है।”
आदेश की पुष्टि करते हुए कांग्रेस के कानूनी सेल के प्रमुख विवेक तन्खा ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने इस संबंध में अपनी पिछली मिसालों का भी पालन नहीं किया है और पार्टी जल्द ही उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी।विवेक तन्खा ने कहा, “मैं आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश से निराश हूं, जो अपनी पिछली मिसालों का पालन नहीं करता।” तन्खा ने पीटीआई-भाषा से कहा, “हम आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश से निराश हैं। हम जल्द ही उच्च न्यायालय का रुख करेंगे। उन्होंने 20 प्रतिशत जुर्माने के भुगतान पर राहत देने में अपनी पिछली मिसाल का पालन नहीं किया है , और वह भी एक राष्ट्रीय पार्टी को जो अभी सक्रिय है।
तन्खा पिछले वर्षों के आईटी रिटर्न में कथित विसंगतियों के लिए 210 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने वाले आईटी अधिकारियों के आदेश के खिलाफ अपील करते हुए शुक्रवार को पार्टी की ओर से ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश हुए।प्राधिकरण के आदेश की घोषणा के बाद कांग्रेस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने आईटीएटी से आदेश को 10 दिनों के लिए स्थगित रखने का आग्रह किया, ताकि वे हाईकोर्ट में अपील दायर कर सकें।
उन्होंने कहा, “चूंकि आपने स्टे आवेदन खारिज कर दिया है, जिसके पार्टी के लिए दूरगामी परिणाम होंगे। क्या मैं अदालत से आदेश को 10 दिनों के लिए स्थगित रखने का अनुरोध कर सकता हूं, ताकि मैं हाईकोर्ट जा सकूं?” हालांकि, अपीलीय न्यायाधिकरण ने यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि उन्हें इस तरह के आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है।