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इस साल शादियों में बैण्ड तो बजेंगे, पर नहीं निकलेगी बारात

इस साल शादियों में बैण्ड तो बजेंगे, पर नहीं निकलेगी बारात
इस साल शादियों में बैण्ड तो बजेंगे, पर नहीं निकलेगी बारात

चातुर्मास और अधिकमास के चलते पिछले 5 महीने से शादियों पर लगा लॉक बुधवार से अनलॉक हो जाएगा। देवउठनी एकादशी पर तुलसी-शालिग्राम के विवाह के साथ दोबारा शहनाई की गूंज सुनाई देगी।

इस वर्ष के अंतिम दो माह नवंबर और दिसंबर में सिर्फ 8 शादियों के शुभ लग्न मुहूर्त है। एक अनुमान के अनुसार अकेले जयपुर में ही इन सावों में 4 से 5 हजार शादियां होगी। पूरे प्रदेश में यह अनुमान लगभग 40 हजार शादियों का है।

किसी शादी में अगर बिन बारात रस्में निभाई जाएगी तो कैसा लगेगा, लेकिन इस बार कोरोनाकाल में ये भी मुमकिन हो सकेगा। यहां शादियों में बैंड तो बजेगा, लेकिन बारात नहीं निकलेंगी।

राज्य सरकार की ओर से कोरोना का प्रसार रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियों के कारण अब घराती और बाराती के साथ-साथ बैंड वादक तथा शादी-समारोह के आयोजनों से जुड़े कारोबारी परेशान हैं। बैंड संचालकों की हालत खस्ता है। इस आदेश के चलते उनके पहले से लिए गए ऑर्डर भी कैंसल हो रहे है।

देवउठनी एकादशी यानि 25 नवंबर से सर्दियों की सीजन के सावे शुरू हो रहे है। साल के आखिरी 2 महीने नवंबर और दिसंबर में कुल आठ सावे है। ऐसे में इस सीजन में जयपुर शहर में करीब 8 हजार जोड़े विवाह बंधन में बंधेंगे। एक विवाह समारोह में मेहमानों की संख्या भी 100 तक सीमित कर दी गई है। साथ ही, धूमधाम से गलियों व कॉलोनियों में निकलने वाली बारात पर भी पाबंदी लगा दी गई है।

ऐसे में अब धूमधाम से निकलने वाली बंदौली भी नहीं निकलेगी। शादियों के दौसान दूल्हा सीधे समारोह स्थल पर ही तोरण मारेगा। ऐसे में बंदौली के साथ लाइटों से रोशनी कर आगे की राह दिखाने वाले भी बेरोजगार हो गए हैं।

अब तक के आदेशानुसार मैरिज गार्डन या होटल के भीतर ऐसे कार्यक्रमों की अनुमति है। बैंड वादन पर किसी तरह की रोक नहीं है, बैंड बज सकेगा, लेकिन कोविड प्रोटोकॉल के तहत सोशल डिस्टेंस को ध्यान में रखते हुए सडक़ पर बंदौली निकालने की अनुमति नहीं होगी।

मैरिज गार्डन के अंदर या उसके बाहर खड़े होकर बैंड बजाने की अनुमति भी वर-वधु पक्ष को लेनी होगी, लेकिन सडक़ों पर बैंड पर डांस की अनुमति नहीं होगी। सरकारी आदेशों के बाद वर-वधु पक्ष बैंड ही बुक नहीं कर रहे है। क्योंकि, जब बारात ही नहीं निकलेंगी तो फिर बैंड कौन बजवाएगा।

हिन्दू समाज में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व होता है। इस एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाता है।

देवउठनी एकादशी के बारे में मान्यता है कि भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा के बाद इसी तिथि पर जागते हैं। देवउठनी पर भगवान विष्णु के जागने के बाद सभी तरह के मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं।

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इस माह 25, 27 और 30 नवंबर को शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त हैं, जबकि दिसम्बर में 1, 7, 9, 10 और 11 दिसंबर को शुभ लग्न में शादी-ब्याह होंगे। इसके बाद 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक मलमास चलेगा। फिर 17 जनवरी से 15 फरवरी के बीच देव गुरु अस्त रहेंगे। इसके बाद 25 अप्रैल से ही विवाह के शुभ मुहूर्त होंगे।

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