उत्तराखंड

सिलक्यारा सुरंग: ऊपर से भी खोदाई शुरू, बाधा न आई तो श्रमिकों तक पहुंचने में लगेंगे दो दिन, चार रास्तों से पहुंच रहे मजदूरों के पास

नई दिल्ली: सिलक्यारा सुरंग में 15 दिन से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग भी रविवार को शुरू कर दी गई। यदि कोई बाधा नहीं आई, तो दो दिन में श्रमिकों तक पहुंच सकते हैं। वहीं, 800 एमएम के पाइप में फंसे ऑगर मशीन के ब्लेड को हैदराबाद से मंगाए प्लाज्मा और लेजर कटर से काटा जा रहा है। पाइप से मशीन के मलबे को निकालने के बाद मैनुअल खोदाई भी शुरू की जाएगी।

पाइप के जरिये बनाए जा रहे रास्ते में लगभग 10 मीटर तक ही खोदाई बाकी है, जिसके बाद श्रमिकों तक पहुंचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लि. के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने सिलक्यारा में मीडिया को बताया कि अब तक 24 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग हो चुकी है और कुल 86 मीटर की खोदाई करनी है। सुरंग के ऊपर व दूसरे छोर से काम में तेजी लाने के लिए और टीमें बुलाई गई हैं।

ओएनजीसी की एक टीम आंध्रप्रदेश के राजामुंदरी से पहुंची है। मैनुअल ड्रिलिंग के लिए सेना पहुंची: बचाव कार्य में मदद के लिए भारतीय सेना की इंजीनियरिंग कोर के एक समूह मद्रास सैपर्स की एक इकाई रविवार को सिलक्यारा पहुंची। इसमें 30 सैन्यकर्मी हैं, जो नागरिकों के साथ मिलकर हाथ, हथौड़े और छेनी से सुरंग के अंदर के मलबे को खोदेंगे। फिर पाइप को उसके अंदर बने प्लेटफॉर्म से आगे की ओर धकेलेंगे। वायुसेना भी मदद में जुटी है। वायुसेना ने रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन से कई महत्वपूर्ण उपकरण भेजे हैं।

इन चार रास्तों से पहुंच रहे मजदूरों के पास
सुरंग में फंसे मजदूरों तक जल्द पहुंचने के लिए रविवार से चार रास्तों से काम शुरू हो गया। सुरंग वे के ऊपर, अंदर और सुरंग के दूसरे सिरे के साथ लंबवत क्षैतिज सुरंग भी तैयार की जा रही है।

सुरंग के ऊपर से
सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड की टीम ने वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू की। देर रात तक 24 मीटर ड्रिलिंग हो चुकी थी। एनएचआईडीसीएल के एमडी महमूद अहमद के मुताविक, 86 मीटर तक ड्रिलिंग होनी है, जो दो से तीन दिन में हो सकती है। बताया, एक ड्रिलिंग रिक की क्षमता 40 मीटर ड्रिल की है। इसके बाद रिक को बदला जाएगा।

सुरंग के अंदर सेलेजर व प्लाज्मा कटर पहुंचने के बाद काम में तेजी आई है। फंसे ब्लेड को काटा गया। सचिव डॉ. नीरज खैरवाल ने बताया कि ब्लेड काटने का काम सोमवार तड़के तक पूरा हो जाएगा। सोमवार से यहां मैन्युअल खोदाई की जाएगी। अवरोधों को लेजर व प्लाज्मा कटर से दूर कर मलबा हटाने का काम होगा। यहां से मजदूर सबसे करीब हैं।

सुरंग के दूसरे सिरे से
पोलगांव बड़कोट वाले छोर पर टीएचडीसी की ओर से ढाई मीटर व्यास की सुरंग बनाने का काम जारी है। यहां अब तक चार ब्लास्ट कर 10 मीटर तक सुरंग तैयार कर ली गई है। ब्लास्टिंग में विशेष सावधानी बरती जा रही है। यहां से करीब 400 मीटर सुरंग का काम शेष था। ऐसे में यहां से सुरंग तैयार करने में लंबा समय लग सकता है।

क्षैतिज सुरंग
रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) भी लंबवत क्षैतिज सुरंग तैयार कर रहा है। इसके लिए सभी जरूरी मशीन सिलक्यारा पहुंचा दी गई हैं। इसके लिए कंक्रीट बेड बनाए जा रहे हैं। वहीं, ड्रिफ्ट टनल बनाने पर भी विचार किया गया है। इस टनल का डिजाइन तय कर फ्रेम के फेन्निकेशन का काम शुरू कर दिया गया है।

प्लाज्मा व लेजर कटर से हुआ काम आसान
प्लाज्मा व लेजर कटर कारगर साबित हुए हैं। इससे काम में तेजी आई है। अब केवल 8 मीटर तक ही बरमे के फंसे ब्लेडों को काटकर निकालना शेष है। जिससे सुरंग के अंदर भी मैन्युअल ड्रिलिंग दोबारा शुरु होने की उम्मीद जगी है।

सरंग धंसने की हो जांच
बचाव कार्य में जुटे अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ ऑर्नोल्ड डिक्स ने कहा, सुरंग का धंसना असामान्य घटना है। इसकी जांच होनी चाहिए। जो क्षेत्र ढहा, वह पहले कभी नहीं ढहा था।

आज से हाथ से शुरू हो सकती है खोदाई
नोडल अधिकारी डॉ. नीरज खैरवाल ने बताया, ऑगर मशीन के बचे हुए 13.9 मीटर ब्लेड को काटने का काम रातभर चलेगा। सोमवार से हाथ से खोदाई शुरू करने की योजना है।

बारिश डाल सकती है खलल
मौसम विभाग ने उत्तराखंड में सोमवार को बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। बारिश हुई, तो बचाव कार्य बाधित हो सकता है।

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