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तेजी से गर्म हो रहा हिंद महासागर, वैज्ञानिकों ने दी ये चेतावनी

नई दिल्ली : हिंद महासागर लगातार तेजी से गर्म हो रहा है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि पहले हिंद महासागर में अत्यधिक गर्मी के हर साल 20 दिन होते थे. लेकिन बहुत जल्द ये दस गुना बढ़ जाएंगे. ये 220 से 250 दिन प्रति वर्ष हो जाएगा. यानी हिंद महासागर स्थाई तौर पर समुद्री हीटवेव का शिकार बन जाएगा।

इसकी वजह से मालदीव जैसे 40 देशों को दिक्कत होगी. जिसमें भारत समेत कई एशियाई देश शामिल हैं. इसकी वजह से चरम मौसमी आपदाएं बढ़ जाएंगी. यानी बेमौसम बारिश हो सकती है. तूफान आ सकते हैं. फ्लैश फ्लड की आशंका बढ़ जाएगी. इसके अलावा समुद्री ईकोसिस्टम खराब होगा. कोरल रीफ बिगड़ेंगे।

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के साइंटिस्ट रॉक्सी मैथ्यू कोल ने अपनी टीम के साथ हिंद महासागर के बढ़ते तापमान को लेकर स्टडी की. इस स्टडी में हिंद महासागर में जलवायु परिवर्तन में तेजी को दर्शाया गया है, जिसमें पर्याप्त गर्मी, समुद्र के जलस्तर में वृद्धि और चरम मौसम की घटनाओं में इजाफे की आशंका है।

हिंद महासागर से 40 देशों की सीमा लगती है. इन देशों में दुनिया की एक तिहाई आबादी रहती है. हिंद महासागर का औसत तापमान 1.2 से 3.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ने का अनुमान है. यह तापमान एक सदी में बढ़ जाएगा. हिंद महासागर का तापमान बढ़ने से आसपास के देशों में भारी बारिश और चक्रवाती तूफानों की संख्या और तीव्रता बढ़ जाएगी।

हिंद महासागर लगभग स्थाई समुद्री हीटवेव की ओर बढ़ रहा है. इससे हीटवेव के दिनों की संख्या सालाना 20 से 250 तक बढ़ सकती है. समंदर पीएच स्तर में कमी आने से पानी एसिडिक होता जा रहा है. इससे कैल्सीफिकेशन बढ़ रहा है. जिससे मूंगा (Coarl Reefs) और समुद्री जीवन को भारी नुकसान होगा।

स्टडी में कहा गया है कि ग्लोबल वॉर्मिंग को तेजी से कम करना होगा. कार्बन उत्सर्जन घटाना होगा. लचीला बुनियादी ढांचा, टिकाऊ समुद्री अभ्यास, उन्नत पूर्वानुमान, अनुकूल कृषि और हिंद महासागर क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के कठोर प्रभावों को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की तरफ ध्यान देना होगा।

दुनिया के इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तनों से आसपास के देशों में बड़े स्तर पर सामाजिक और आर्थिक प्रभाव पड़ता है. पूरी दुनिया को देखें तो हिंद महासागर ग्लोबल वॉर्मिंग का सबसे बड़ा शिकार बन रहा है. इसकी वजह से तटीय मौसम में बदलाव आएगा. चरम मौसमी आपदाएं आएंगी. आ भी रही हैं।

अधिकतम गर्मी अरब सागर सहित उत्तर-पश्चिमी हिंद महासागर में है. दक्षिण-पूर्वी हिंद महासागर में सुमात्रा और जावा तटों पर कम गर्मी है. समुद्री सतह का तापमान बढ़ने से मौसमी चक्र में बदलाव आएगा. 1980-2020 के दौरान हिंद महासागर में अधिकतम बेसिन-औसत तापमान पूरे वर्ष 28°C (26°C-28°C) से नीचे रहा।

21वीं सदी के अंत तक न्यूनतम तापमान ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से समुद्र सतह का तापमान (°C) 28°C (28.5°C-30.7°C) से ऊपर रहेगा. अगर इस सदी के अंत तक तापमान इसी तरह रहेगा तो इससे चक्रवाती तूफानों की संख्या पर असर पड़ेगा. 1950 के दशक से भारी वर्षा की घटनाएं और भयंकर चक्रवात पहले ही बढ़ चुके हैं।

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