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लोकसभा चुनाव-2024 : ‘अबकी बार 400 पार’

देवव्रत

सधे हुए कदमों से चुनाव प्रबंधन, प्रत्याशी चयन और फिर उसके बाद जीतकर सरकार बनाने में सिद्धहस्त भारतीय जनता पार्टी ने जल्द होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। हालांकि कुछ और दलों ने बीजेपी से पहले उम्मीदवार घोषित कर दिए थे लेकिन बीजेपी ने सूची जारी करने के साथ ही यह संदेश भी दे दिया है कि वह चुनावों में जाने के लिए पूरी तरह तैयार है। साथ ही बीजेपी ने सूची जारी कर विपक्ष पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की दिशा में भी कदम उठाया है। हालांकि बीजेपी की पहली सूची में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह सरीखे दिग्गज नेताओं का नाम शामिल है लेकिन वहीं पार्टी के कई दिग्गजों को कुछ दिन और इंतजार करना पड़ सकता है। वहीं कई नेताओं के टिकट काट भी दिए गए हैं, जबकि महाराष्ट्र और बिहार जैसे प्रांतों के लिए अभी कोई भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है। बीजेपी की पहली सूची में 16 राज्यों से 195 सीटों के नाम का ऐलान किया गया है, जिसमें से 34 केन्द्रीय व राज्य मंत्रियों का नाम सूची में शामिल किया गया है। इसके साथ ही 28 महिलाओं को इस बार मौका दिया गया है। इसके साथ 47 युवा उम्मीदवार जिनकी उम्र 50 साल से कम है, उन्हें भी दिया गया है। इसके अलावा 27 नाम अनुसूचित जाति से शामिल किये गये हैं जबकि 18 प्रत्याशी अनुसूचित वर्ग से हैं और 57 नाम ओबीसी वर्ग से हैं।

लोकसभा में सबसे ज्यादा सांसद चुनकर भेजने वाले उत्तर प्रदेश में पार्टी ने 51 प्रत्याशियों में 44 मौजूदा सांसदों को टिकट देकर यह भी संदेश देने की कोशिश की है कि मोदी सरकार के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि करीब एक वर्ष पहले भाजपा ने जब लोकसभा चुनाव के लिए पहले दौर का सर्वे शुरू कराया था, तब सर्वे में पार्टी के 30-40 फीसदी मौजूदा सांसदों की रिपोर्ट नकारात्मक आई थी। सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद चुनाव में बड़ी संख्या में सांसदों के टिकट कटने की आशंका जताई जा रही थी। यही नहीं, केन्द्रीय नेतृत्व की ओर से कराए गए सर्वे में भी सांसदों की जमीनी रिपोर्ट ज्यादा अच्छी नहीं थी। बावजूद इसके बीजेपी ने पुराने चेहरों को ही तरजीह दी है। वहीं यूपी के अलावा कई और प्रदेशों में टिकट कटे भी हैं। वहीं कईयों को जब यह लगा कि उन्हें टिकट नहीं मिलेगा तो उन्होंने प्रत्याशियों की सूची जारी होने से पहले ही चुनाव मैदान में उतरने से इनकार कर किसी तरह अपना सम्मान बचाया।

यूपी की बात करें तो खीरी से अजय मिश्र टेनी को एक बार फिर टिकट दिया गया है। हालांकि, इस सूची में केन्द्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह का नाम नहीं है। वरुण गांधी, मेनका गांधी और ब्रजभूषण शरण सिंह की सीटों पर भी फैसला होना बाकी है। रायबरेली में भी कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा के बाद ही बीजेपी अपने पत्ते खोलेगी। पार्टी ने 51 में से 44 मौजूदा सांसदों को प्रत्याशी बनाने और हारी हुई चार सीटों में से तीन पर हारे हुए चेहरों पर ही दांव खेलने का जोखिम उठाया है। पार्टी ने विपक्षी दलों को संदेश देने की कोशिश की है कि विकास और विरासत को सम्मान के दम पर वह यूपी में फिर एक बार बड़ी जीत हासिल करेगी। जिन 44 सांसदों को फिर से टिकट दिया गया है, उनमें मुजफ्फरनगर, चंदौली, कन्नौज जैसी सीटें भी हैं, जहां 2019 में जीत का अंतर 6 से 15 हजार के बीच ही रहा था।

पड़ोसी राज्य उत्तराखण्ड की पांच लोकसभा सीटों में से सिर्फ तीन पर ही प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया गया है। बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व में एक बार फिर से नैनीताल, अल्मोड़ा और टिहरी लोकसभा सीट पर अपने मौजूदा सांसदों को टिकट दिया है। नैनीताल से सांसद अजय भट्ट को दोबारा से नैनीताल से टिकट दिया गया तो वही, टिहरी से मौजूदा सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह को एक बार फिर टिहरी का टिकट दिया गया है जबकि अल्मोड़ा लोकसभा सीट से एक बार फिर से अजय टम्टा को टिकट दिया गया है। वहीं बची हुई दो लोकसभा सीटों पर आने वाले समय में फैसला लिया जा सकता है लेकिन बीजेपी के द्वारा अपने सांसदों को रिपीट किए जाने से सभी को काफी हैरानी हुई है। बीजेपी के मौजूदा सांसदों को बदलने की चर्चा काफी समय से चल रही थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। फिलहाल उम्मीद जताई जा रही है कि पौड़ी लोकसभा सीट से पूर्व राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के नाम और हरिद्वार से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के नाम की चर्चा है। उत्तराखंड में 2014 से अब तक भारतीय जनता पार्टी का इन पांचों लोकसभा सीटों पर कब्जा है जिन तीन सांसदों को रिपिट किया गया है, उनमें से महारानी राज्यलक्ष्मी शाह टिहरी से दो बार की सांसद हैं। वहीं, अल्मोड़ा से अजय टम्टा भी दूसरी बार के सांसद है, अजय टम्टा नैनीताल से 2019 में सांसद का चुनाव जीते है, उनको दोबारा बीजेपी ने टिकट दिया है जब की महारानी को तीसरी बार टिकट दिया गया है। पौड़ी और हरिद्वार लोकसभा सीट से उम्मीद जताई जा रही है कि मौजूदा सांसदों को बदला जा सकता है। पौड़ी से पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत मौजूदा सांसद हैं तो वहीं, हरिद्वार से पूर्व केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री पोखरियाल निशंक सांसद है। इन दोनों सीटों पर उम्मीद जताई जा रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हरिद्वार और पूर्व राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को पौड़ी से टिकट दिया जा सकता है।

उधर, मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 24 पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। जारी सूची में भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर फिर भरोसा जताते हुए लोकसभा चुनाव के लिए 20 वर्ष बाद पुन: विदिशा से टिकट दिया है। राज्यसभा सदस्य और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनकी परंपरागत सीट गुना-शिवपुरी से प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को फिर खजुराहो सीट से ही चुनाव लड़ाया जा रहा है। वहीं कांग्रेस के दिग्गज कमल नाथ के गढ़ छिंदवाड़ा के अलावा बालाघाट, धार, इंदौर और उज्जैन लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। पार्टी की पहली सूची में चार महिलाओं को मौका दिया गया है। 24 में 11 सीटों पर पार्टी ने नए चेहरे उतारे हैं। सामान्य वर्ग के सात, ओबीसी वर्ग के नौ प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है। एसटी के लिए सुरक्षित पांच और एससी की तीन सीटों पर भी प्रत्याशी घोषित किए गए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को भोपाल सीट पर हराने वाली साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का टिकट काट दिया गया है। उनके स्थान पर भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष व भोपाल के महापौर रहे आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा ने जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों में सटीक बैठने वाले पांच ऐसे उम्मीदवारों को भी लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा है जो वर्ष 2023 में विधानसभा का चुनाव हार गए थे। इनमें दो सांसद गणेश सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते हैं। दमोह से प्रत्याशी घोषित किए राहुल सिंह लोधी खरगापुर विधानसभा सीट से हारे थे। वह पिछली बार भाजपा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।

दिल्ली में भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज की बेटी और पार्टी की वरिष्ठ नेता बांसुरी स्वराज को मैदान में उतारा है। उन्हें मौजूदा सांसद और मोदी सरकार में विदेश मंत्री एस जयशंकर की जूनियर मंत्री मीनाक्षी लेखी की जगह उम्मीदवार बनाया गया है। दिल्ली से जिन लोगों के टिकट कटे हैं, उनमें रमेश बिधूड़ी (दक्षिणी दिल्ली) हर्षवर्धन (चांदनी चौक), मीनाक्षी लेखी और परवेश वर्मा का नाम है। बिधूड़ी हाल ही में चर्चा में आए थे जब उन्होंने बीएसपी सांसद दानिश अली के खिलाफ सदन के भीतर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। वहीं परवेश वर्मा साल 2020 के दिल्ली दंगों में अपनी कथित हेट स्पीच को लेकर चर्चा में रहे थे। बीजेपी ने अपनी पहली सूची में हिंदी पट्टी के दो मुख्य राज्यों उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में ज्यादातर उन्हीं उम्मीदवारो को टिकट दिया है, जिन्हें 2019 चुनाव में मैदान में उतारा था। लेकिन इस बार पार्टी ने दिल्ली और छत्तीसगढ़ की सीटों पर अहम उलटफेर किया है। छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को टिकट नहीं दिया गया है। माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी ने प्रत्याशियों की सूची बनाते समय जीतने की क्षमता के साथ-साथ मतदाताओं के बीच उम्मीदवारों की छवि और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ संबंध जैसे फैक्टर पर ज्यादा फोकस किया है। भाजपा ने मोदी सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों का बड़ा वोट बैंक तैयार किया है। पहली सूची में अगड़े, पिछड़े और दलितों की सभी प्रमुख जातियों को प्रतिनिधित्व देकर सामाजिक संतुलन भी बनाया है।

गांधी परिवार को लेकर संशय बरकरार

बीजेपी ने अपने 195 प्रत्याशियों की सूची तो जरूर जारी कर दी लेकिन गांधी परिवार को लेकर वह अभी अनिर्णय की स्थिति में है। यह गांधी परिवार वह है जो कि बीजेपी में है, यानि इन्दिरा गांधी की दूसरी पुत्रवधू मेनका गांधी और उनके पुत्र वरुण गांधी को लेकर। दरअसल, मेनका गांधी बीजेपी सरकार में ही मंत्री भी रह चुकी हैं लेकिन मोदी सरकार में उन्हें मौका नहीं मिला। हालांकि वह लगातार सांसद जरूर रहीं। ठीक वैसे ही वरुण गांधी भी लगातार सांसद रहे। कभी यूपी के सुल्तानपुर से तो कभी पीलीभीत से। ऐसा नहीं है कि बीजेपी ही सिर्फ गांधी परिवार को लेकर संशय में है। उधर, कांग्रेस भी यह तय नहीं कर पा रही है कि राहुल गांधी को अमेठी से उतारा जाये या वायनाड से। कांग्रेस की सर्वेसर्वा सोनिया गांधी ने रायबरेली को तो अलविदा कह दिया और राजस्थान से संसद के उच्च सदन राज्यसभा में अपनी सीट पक्की कर ली। वहीं अब यह कयास लगाये जा रहे हैं कि कांग्रेस आलाकमान प्रियंका गांधी को भी इस बार चुनावी रण में उतार सकता है। उनकी लिए फिलहाल रायबरेली की सीट मुफीद मानी जा रही है। वहीं कांग्रेस आलाकमान दमन दीव के रास्ते भी प्रियंका गांधी को लोकसभा की दहलीज पार कराने के लिए सर्वे करा रही है। फिलहाल बीजेपी ने अमेठी से एक बार फिर स्मृति ईरानी को उतार दिया है, जबकि रायबरेली में वह कांग्रेस प्रत्याशी के चेहरे की प्रतीक्षा कर रही है।

चर्चा है कि यदि प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ती हैं तो उनके खिलाफ सुप्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास अथवा राज्यसभा सांसद एवं बीजेपी के प्रखर प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी को बीजेपी मैदान में उतार सकती है। कुमार विश्वास तो एक बार आम आदमी पार्टी से अपनी किस्मत अमेठी में आजमा चुके हैं। यह भी चर्चा है कि बीजेपी सांसद वरुण गांधी लगातार विभिन्न मुद्दों पर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं, ऐसे में बीजेपी उनका टिकट काट सकती है। साथ ही मेनका गांधी को भी चुनावी रण में नहीं उतारा जायेगा। यह भी कहा जा रहा है कि गांधी परिवार फिर से एकजुट होने जा रहा है और अमेठी से राहुल गांधी के स्थान पर वरुण गांधी को उतारा जा सकता है। जबकि मेनका गांधी को रायबरेली से। यदि ऐसा कुछ हुआ तो चुनावी मुकाबला खासा दिलचस्प रहने वाला है।

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