मध्य प्रदेश

प्राकृतिक कृषि के लिए अनुकूल है मध्यप्रदेश : आचार्य देवव्रत

भोपाल: गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा है कि मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि की दृष्टि से अनुकूल है। शिवराज जी जैसे क्षमतावान नेता मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने अनेक क्षेत्रों में श्रेष्ठ कार्य किए हैं। देवव्रत ने विश्वास व्यक्त किया कि शिवराज जी प्राकृतिक कृषि के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश में अच्छे परिणाम लाकर दिखाएंगे। प्राकृतिक कृषि का कार्य देखने के लिए मध्यप्रदेश के किसान गुजरात और हिमाचल प्रदेश में आमंत्रित हैं।

गुजरात के राज्यपाल के देवव्रत आज राज भवन सभाकक्ष में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में एक विशेष बैठक में प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों को प्राकृतिक कृषि के संबंध में विवरण दे रहे थे। कृषि मंत्री कमल पटेल, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त शैलेंद्र सिंह, अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी एवं पशुपालन जे.एन. कंसोटिया, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी, राज्यपाल के प्रमुख सचिव डी.पी. आहूजा, प्रमुख सचिव मुकेश चंद्र गुप्ता, कृषि संचालक श्रीमती प्रीति मैथिल, कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के अनुसंधान निदेशक एस.के. शर्मा सहित मध्यप्रदेा एवं गुजरात सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और गुजरात प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड के पदाधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री चौहान ने मुझे स्वयं आमंत्रित किया

जबकि मैं अन्य राज्यों को आग्रह करता रहता हूँ : आचार्य देवव्रत

राज्यपाल देवव्रत ने कहा कि प्राकृतिक कृषि के प्रचार के लिए वे विभिन्न राज्यों में जाते रहते हैं। एक विशेष बात यह है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं मुझसे मध्यप्रदेश आने का आग्रह किया। उनके आमंत्रण पर मैंने यहाँ आने का कार्यक्रम बनाया। अन्य राज्यों में मुझे खुद संपर्क करना होता है। मध्यप्रदेश की ओर से मिले आमंत्रण से मैं बहुत हर्षित हुआ हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि मध्य प्रदेश प्राकृतिक कृषि के क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त करेगा।

स्वैच्छिक सहयोग से अच्छे परिणाम संभव

राज्यपाल देवव्रत ने कहा कि यह कार्य स्वैच्छिक रूप से समर्पित भावना से किया जाएगा, तो ज्यादा परिणाम मूलक होगा। कृषि विभाग में आत्मा (एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी) से जुड़े अमले को सर्वप्रथम प्राकृतिक कृषि के लिए प्रशिक्षित किया जाए। प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके व्यक्ति प्राकृतिक कृषि के मास्टर ट्रेनर होंगे। देवव्रत ने अपने जीवन में इस कार्य के अनुभव की चर्चा करते बताया कि प्राकृतिक कृषि एक छोटे से अंचल से प्रारंभ की गई। पहले लगभग 50 हजार किसान ही इससे जुड़े थे। इनकी संख्या बढ़कर अब 2 लाख हो गई है। विभिन्न राज्यों के किसान प्राकृतिक कृषि को अपनाने लगे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी भी लेते हैं रुचि

राज्यपाल देवव्रत ने बताया कि इसी सप्ताह प्रधानमंत्री मोदी गुजरात आ रहे हैं। वे 18 अप्रैल को गुजरात के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्राकृतिक कृषि के संबंध में चर्चा करेंगे। इसके पहले वे दिसम्बर 2021 में राष्ट्रीय कृषि और खाद्य प्र-संस्करण शिखर सम्मेलन में किसानों को प्राकृतिक कृषि के महत्व पर संबोधित कर चुके हैं। इस सम्मेलन में कृषि विज्ञान केन्द्रों और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण नेटवर्क के माध्यम से किसान शामिल हुए थे। गुजरात में प्राकृतिक कृषि को लोकप्रिय बनाने के लिए यह रणनीति बनाई गई है कि कलेक्टर सहित एडीएम और एसडीएम जिले में प्राकृतिक कृषि के कार्य की मासिक रूप से जानकारी प्राप्त करेंगे। प्राकृतिक कृषि करने वाले ऐसे किसान जो अपनी जमीन पर खेती करते हुए देसी गाय भी पाल रहे हैं, उन्हें प्रतिमाह 900 रूपए की राशि प्रदान की जाती है। वर्तमान में ऐसी दो लाख गाय का पालन किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में भी इस संबंध में पहल हुई है। किसान को दी जाने वाली सब्सिडी से कहीं ज्यादा लाभ गोपालन से हो जाता है।

गुजरात में डांग जिला चुना गया पायलट प्रोजेक्ट के लिए

देवव्रत ने बताया कि पूर्वी गुजरात में डांग जिले का चयन पॉयलट प्रोजेक्ट के लिए किया जाकर 19 नवंबर 2021 से प्राकृतिक कृषि के लिए व्यवस्थित कार्य प्रारंभ हुए हैं। प्राकृतिक कृषि में रूचि रखने वाले किसानों को प्रशिक्षण, ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन, उसके शुल्क की प्रतिपूर्ति और मार्केटिंग सपोर्ट दिया जा रहा है। प्रत्येक ब्लॉक में प्रयास किए जाकर एफ.पी.ओ भी बनाए गए हैं। हिमाचल प्रदेश और गुजरात में प्राकृतिक कृषि बोर्ड बनाए गए हैं। मध्यप्रदेश इस क्रम में यह बोर्ड गठित करने वाला नया राज्य होगा। देवव्रत ने बताया कि प्रत्येक ग्राम से 5 या 10 किसानों का चयन कर प्राकृतिक कृषि प्रारंभ की जानी चाहिए। इसके बाद इस कार्य का धीरे-धीरे विस्तार किया जाए।

कैसी होगी बोर्ड की संरचना

देवव्रत ने बताया कि बोर्ड में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में अन्य मंत्री शामिल होते हैं। राज्य स्तर ij टास्क फोर्स भी कार्य कर सकता है, जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव हैं। इसके अलावा आत्मा परियोजना से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी को एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर का जिम्मा दिया जा सकता है। देवव्रत ने बोर्ड की संरचना का प्रारूप भी मध्यप्रदेश शासन को सौंपा। बोर्ड द्वारा कार्य प्रारंभ किए जाने के पश्चात प्रत्येक विकासखंड में किसान मित्र भी बनाए जाएंगे। बोर्ड के प्रमुख कार्यों में आत्मा से जुड़े स्टाफ को प्रशिक्षित करने, किसानों को क्षेत्र भ्रमण करवाने और प्रदर्शनी और प्रचार-प्रसार करने के कार्य शामिल हैं। प्राकृतिक कृषि करने वाले किसानों के सहयोग से विभिन्न प्रोसेसिंग यूनिट भी प्रारंभ करने की व्यूह रचना बनाई जाए। देवव्रत ने गुजरात के आणंद में इस संबंध में हुए कार्यक्रम की भी जानकारी दी।

महिलाओं की भागीदारी से बेहतर परिणाम

देवव्रत ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक कृषि कार्य करने वालों में तीन चौथाई महिलाएँ शामिल है। हिमाचल में मुख्य रूप से सेब उत्पादन होता है। प्राकृतिक कृषि अपनाने के बाद फलों का स्वाद बढ़ गया है। कृषि लागत कम होने का लाभ तो मिला ही है, अन्य कृषकों को प्रेरणा भी मिल रही है। देवव्रत ने कहा कि मनोयोग और सेवा भाव से इसे मिशन मोड पर लेकर मध्यप्रदेश में कार्य संपन्न हो। मध्यप्रदेश में वह इस उद्देश्य से पुनः भ्रमण के लिए आने में संकोच नहीं करेंगे।

उल्लेखनीय है कि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने 200 एकड़ क्षेत्र में स्वयं प्राकृतिक कृषि कर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने मध्यप्रदेश के अधिकारियों और किसानों को हिमाचल प्रदेश आकर इन कार्यों को देखने का आग्रह भी किया।

आचार्य देवव्रत जी का मार्गदर्शन उपयोगी सिद्ध होगा : मुख्यमंत्री चौहान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्राकृतिक कृषि जनहित में आवश्यक है। इसे मिशन के रूप में प्रारंभ किया जाएगा। किसान को अपने खेत के एक चौथाई हिस्से से यह शुरूआत करने की प्रेरणा दी जाएगी। जिस तरह हिमाचल और गुजरात में प्राकृतिक कृषि के विकास के लिए बोर्ड बनाया गया है, मध्यप्रदेश भी यह कदम उठाएगा। प्रशिक्षण पर विशेष जोर दिया जाएगा। कृषि विभाग के “आत्मा” प्रोजेक्ट से जुड़े अमले को प्रशिक्षित किया जाएगा। मध्यप्रदेश की टीम हिमाचल प्रदेश जाकर प्राकृतिक कृषि के सफल प्रयोगों को देखेगी। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आज की कार्यशाला का प्रसारण लाखों लोगों ने सुना और देखा है। इससे प्राकृतिक कृषि के प्रचार में सहयोग मिलेगा। मध्यप्रदेश के किसानों तक संदेश देने की शुरूआत हो गई है। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा दिया गया मार्गदर्शन मध्यप्रदेश के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सम्मान भी किया गया

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने विशेष बैठक में प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तृत जानकारी देने के पश्चात मध्यप्रदेश में कृषि क्षेत्र में किए गए श्रेष्ठ कार्यों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व की प्रशंसा की। गुजरात के राज्यपाल ने गुजरात के कच्छ क्षेत्र की पारंपरिक कसीदाकारी से निर्मित दुशाला और स्मृति-चिन्ह भेंट कर मुख्यमंत्री चौहान का सम्मान भी किया। उन्होंने चौहान को भारत के विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों में, असाधारण, गतिशील और जन-कल्याणकारी निर्णय लेने वाले प्रमुख नेता की संज्ञा भी दी।

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