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Movie review: इमोशनल और म्यूजिकल कहानी है ‘बैंजो..

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नई दिल्ली। आज फ्राईडे हैं और रीलिज के लिए तैयार है फिल्म ‘बैंजो’। इस फिल्म में आपको रितेश के साथ नगरिस नजर आएंगी। अगर आप वीकेंड में कुछ नहीं कर रहे हैं तो फिल्म देखिए वरना खास टाइम निकालकर जाकर देखेंगे तो टाइम वेस्ट है।

 फिल्म का नाम: बैंजो 
डायरेक्टर: रवि जाधव 
स्टार कास्ट: रितेश देशमुख, नरगिस फाकरी, धर्मेश येलांडे
फिल्म का समय: 2 घंटा 17 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 3 स्टार
डायरेक्टर रवि जाधव ने ‘नटरंग’, ‘बालक पालक’ जैसी एक से बढ़कर सुपरहिट मराठी फिल्में बनाई हैं और पहली बार रवि ने एक हिंदी फिल्म में हाथ आजमाया है। 
कहानी 
फिल्म की कहानी मुम्बई के रहने वाले बैंजो प्लेयर नन्द किशोर उर्फ तरात (रितेश देशमुख) की है जो वहां के लोकल मंत्री के लिए काम भी करता है, साथ ही अपने तीन दोस्तों पेपर, ग्रीस और वाजा के साथ फंक्शन्स में परफॉर्म भी करता है। तभी न्यूयॉर्क से क्रिस (नरगिस फाकरी) मुम्बई आती है जिसका मकसद यहां के लोकल बैंजो प्लेयर्स के साथ 2 गाने रिकॉर्ड करना है, जिसे वो न्यूयॉर्क के एक म्यूजिक कॉम्पिटिशन में भेज सके। क्रिस के मुम्बई आने पर कहानी में बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं और आखिरकार एक रिजल्ट सामने आता है, जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
स्क्रिप्ट
फिल्म की स्क्रिप्ट को असल जिंदगी के काफी करीब रखने की कोशिश की गई है। कपिल सावंत और निखिल मेहरोत्रा के साथ खुद डायरेक्टर रवि जाधव ने भी फिल्म की लिखावट में योगदान दिया है। कहानी में आपको इमोशनल, कॉमेडी और रोमांटिक तीनों रस सामने नजर आते हैं लेकिन किसी भी रस की पूर्ति नहीं हो पाती है। कुछ न कुछ अधूरा सा दिखाई पड़ता है।  हालांकि फिल्म का सेकंड हाफ काफी अच्छा है लेकिन इसे कुछ खास तरह की ऑडिएंस ही पसंद करेगी।
अभिनय 
फिल्म में रितेश देशमुख ने किरदार को बखूबी निभाया है, और उनके एक्सप्रेशन्स से आप खुद को कनेक्ट कर पाएंगे। नरगिस फाखरी का काम भी अच्छा है। साथ ही फिल्म के बाकी सह कलाकारों ने उम्दा अभिनय किया है।
कमजोर कड़ी
फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी कहानी है जो फर्स्ट हाफ में काफी धीमी है साथ ही कुछ गाने ऐसे भी आते हैं, जो कहानी की रफ़्तार को कमजोर बनाते हैं। स्टार वैल्यू की वजह से भी कमाई पर असर पड़ सकता है।
संगीत 
विशाल-शेखर की जोड़ी ने फिल्म का म्यूजिक अच्छा दिया है और हरेक गाने को फिल्म से जोड़ने की भरपूर कोशिश की है। लेकिन कुछ गाने फिल्म की रफ़्तार को काफी कमजोर कर देते हैं।
क्यों देखें 
रितेश देशमुख और विशाल शेखर के संगीत के फैन हैं तो एक बार फिल्म देख सकते हैं।
 

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