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इटावा में कूडा निस्तारण के लिए नगर पालिका खर्च करेगी छह करोड़

इटावा : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के इटावा (Etawah) में नगर पालिका परिषद कूडा निस्तारण (Garbage disposal) के लिए छह करोड़ रूपये खर्च करेगी। नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी अनिल कुमार (Anil Kumar) ने शनिवार को यहां बताया कि 38 लाख की लागत से पहला एमआरएफ सेंटर सुंदरपुर के पास बनाया जा रहा है। इसके निर्माण के लिए निविदा स्वीकृत करने की प्रक्रिया चल रही है। शीघ्र ही निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा। इस योजना को अब पूरे शहर में एक साथ लागू किया जाएगा। इसके लिए शासन को छह करोड़ की पूरी कार्ययोजना भेजी गई है। धनराशि स्वीकृत होते ही काम तेज होगा। उन्होंने बताया कि आगे आने वाले महीनों में यह योजना शहर में क्रियान्वित होती दिखाई देने लगेगी।

सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट (Solid Waste Management) लागू करने के लिए करीब छह करोड़ रुपये की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) भेजी है। आने वाले महीनों में यह योजना शहर के सभी 40 वार्डों में लागू की जाएगी। इस अभिनव योजना को लागू करने से नगर पालिका को कूड़ा प्रबंधन के लिए हर साल लगभग ढाई से तीन करोड़ रुपये की बचत होगी। श्री कुमार ने बताया कि जनवरी के महीने में शासन के आदेश पर इटावा नगर पालिका परिषद को सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट का पायलट प्रोजेक्ट (Piolot Project) लागू करने के लिए चुना गया था।

नगर पालिका ने शिवा कालोनी वार्ड में पायलट प्रोजेक्ट लागू किया। इस प्रोजेक्ट में घर के कूडे का निस्तारण घर में ही करने को लेकर नगर पालिका की ओर से सभी नागरिकों को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत घर में सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग डिब्बों में रखना होगा। अर्थात कूड़ाघर से ही अलग अलग होकर आएगा। वार्ड स्वच्छता समिति के अधीन पूरे वार्ड की सफाई व्यवस्था होगी। समिति की तरफ से कूड़ा कलेक्शन के लिए एक कर्मचारी रखा जाएगा। यह कर्मचारी घर से कूड़ा लेकर वार्ड में बनाए गए एफआरएफ सेंटर में ले जाएगा। मोहल्ले के हर घर से कूड़ा कलेक्शन चार्ज वार्ड समिति वसूलेगी। समिति अपनी आमदनी से ही वार्ड को साफ सुथरा बनाने के उपाय करेगी। नगर पालिका इसमें कोई वित्तीय सहयोग नहीं देगी। कूड़ा निस्तारण में एमआरएफ सेंटरों की भूमिका अहम होगी।

मेटेरियल रिकवरी फेसिलिटी (Material recovery facility) अर्थात एमआरएफ सेंटर में मोहल्लों से लाया गया कूड़ा एकत्रित किया जाएगा। यहां गीले कूडे से तो खाद बनाई जाएगी। सूखा कूड़ा निस्तारित कर उसमें निकलने वाले कबाड़ को अलग कर बेचा जाएगा। खाद और कबाड़ से होने वाली आमदनी को भी सफाई में खर्च किया जाएगा। शहर में 40 वार्ड हैं। हर दो वार्डों के बीच एक एमआरएफ सेंटर होगा। एक सेंटर बनाने में सरकार की ओर से 38 लाख रुपये की लागत आएगी। इसी सेंटर पर कूड़ा निस्तारण का पूरा काम किया जाएगा। इस पर वार्ड स्वच्छता समिति का नियंत्रण रहेगा। अभी तक कूड़ा प्रबंधन का पूरा वित्तीय भार नगर पालिका वहन करती हैं। नगर पालिका को सालाना ढाई से तीन करोड़ रुपये इस मद में खर्च करना पड़ता है। इस योजना को लागू करने के पीछे यही मकसद है कि नगर पालिका का वित्तीय भार कम हो। इससे होने वाली बचत को विकास के अन्य मदों में खर्च किया जा सके।

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