अफगानिस्तान के विद्यालयों में छात्राओं के बिना शुरू हुआ नया शैक्षणिक सत्र
नई दिल्ली: अफगानिस्तान के विद्यालयों में बुधवार को लड़कियों के बिना नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुआ क्योंकि तालिबान ने छठी कक्षा से आगे की कक्षाओं में लड़कियों की पढ़ाई पर रोक लगा दी है। महिला शिक्षा पर रोक लगाने वाला अफगानिस्तान दुनिया का इकलौता देश है।
संयुक्त राष्ट्र बाल एजेंसी के मुताबिक प्रतिबंध से 10 लाख से अधिक लड़कियां प्रभावित हुई हैं। एजेंसी का यह भी अनुमान है कि सुविधाओं की कमी और अन्य कारणों से तालिबान के कब्जे से पहले ही 50 लाख लड़कियां विद्यालय छोड़ चुकी थीं। तालिबान के शिक्षा मंत्रालय ने नए शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत एक समारोह के साथ की जिसमें महिला पत्रकारों को शामिल होने की अनुमति नहीं थी।
संवाददाताओं को भेजे गए निमंत्रण में कहा गया है: ‘‘बहनों के लिए उपयुक्त जगह की कमी के कारण, हम महिला पत्रकारों से माफी मांगते हैं।” तालिबान के शिक्षा मंत्री हबीबुल्लाह आगा ने समारोह के दौरान कहा कि मंत्रालय ‘‘धार्मिक और आधुनिक विज्ञान की शिक्षा की गुणवत्ता को यथासंभव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।”
तालिबान मदरसों या धार्मिक स्कूलों पर जोर दे रहा है और बुनियादी साक्षरता व गणित के बजाय इस्लामी शिक्षा को तवज्जो दे रहा है। मंत्री ने छात्रों से ऐसे कपड़े पहनने से बचने का भी आह्वान किया जो इस्लामी और अफगान सिद्धांतों के विपरीत हों। तालिबान के उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफी ने कहा कि वे ‘‘देश के सभी दूरदराज के इलाकों” में शिक्षा का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं।
तालिबान ने पहले कहा था कि लड़कियों की शिक्षा जारी रखना इस्लामी कानून या शरिया की उनकी व्याख्या के खिलाफ है, और स्कूल में उनकी वापसी के लिए कुछ शर्तों की आवश्यकता है। हालांकि, उसने उक्त स्थितियां बनाने में कोई प्रगति नहीं की। तालिबान ने 1990 के दशक में भी अफगानिस्तान पर शासन के दौरान लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगा दी थी।