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भारत म्यांमार सीमा को भारत बांग्लादेश सीमा के तर्ज पर सुरक्षित करने की तैयारी, मुक्त आवाजाही पर पुनर्विचार

नई दिल्ली ( विवेक ओझा) : गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि केंद्र सरकार भारत म्यांमार सीमा पर मुक्त आवाजाही की व्यवस्था को रेगूलेट करने पर विचार करेगी और 1643 किमी लंबी भारत म्यांमार सीमा को ठीक उस तर्ज पर प्रोटेक्ट किया जायेगा जैसा कि भारत बांग्लादेश सीमा का किया जाता है। म्यांमार सीमा पर लोगों के फ्री मूवमेंट को रोकने पर केंद्र सरकार कुछ समय से गंभीरता से विचार करने लगी है। म्यांमार के नागरिकों, जनजातीय समूहों का पूर्वोत्तर भारत में अवैध प्रव्रजन ( illegal migration) खासकर रोहिंग्या और कुकी चिन को लेकर एक समस्या बन गया है।

अब इसी बात को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार भारत-म्यांमार बॉर्डर पर मुक्त आवागमन व्यवस्था (FMR) को खत्म करने जा रही है। इस सीमा से म्यांमार के लोग करीब 16 किलोमीटर तक बगैर वीजा आ सकते हैं। इसकी वजह से नशे की तस्करी से लेकर घुसपैठ भी बढ़ी है।

दोनों देशों के बीच ज्यादातर सीमा पर कोई फेंसिंग नहीं। मणिपुर में 10 किलोमीटर का हिस्सा ही बाड़ों से घिरा हुआ है, जबकि बाकी लगभग 4 सौ किलोमीटर का हिस्सा खुला हुआ है। इसी तरह मिजोरम और अरुणालय प्रदेश में 5 सौ से ज्यादा किलोमीटर सीमा खुली हुई है। ये घुसपैठियों के लिए सबसे आसान रास्ता है। यहीं से वे अवैध तौर पर आते रहे, और नशे की तस्करी भी करते रहे।

मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश की सीमाएं म्यांमार से सटी हुई हैं। ये बॉर्डर 15 सौ किलोमीटर से भी लंबा है। दोनों ही सीमाओं पर पहाड़ी आदिवासी रहते हैं, जिनका आपस में करीबी रिश्ता रहा। उन्हें मिलने-जुलने या व्यापार के लिए वीजा की मुश्किलों से न गुजरना पड़े, इसके लिए भारत-म्यांमार ने मिलकर ये तय किया कि सीमाएं 16 किलोमीटर तक वीजा-फ्री कर दी जाएं। साल 2018 में देश की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत FMR को छूट मिली है। इससे हुआ ये कि भारत और म्यांमार दोनों देशों के लोग एक-दूसरे की सीमा के 16 किलोमीटर तक भीतर आसानी से आने-जाने लगे। इसके लिए उन्हें सिर्फ एक पास लेना होता था। लेकिन अब यही बंदोबस्त पूर्वोत्तर के गले की हड्डी बन चुका है। वहां की सरकारें लगातार ड्रग्स और ह्यूमन ट्रैफिकिंग की शिकायत कर रही हैं। इसी के चलते ये फैसला लिया जा सकता है कि FMR को रोक दिया जाए।

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