राजनीति

राज्यसभा चुनाव: भाजपा के सियासी दांव से विपक्ष चारों खाने चित, इस रणनीति से सभी को उलझाया

बिहार: राज्यसभा चुनाव के चुनावी मैदान में सियासत कि बिसात बिछ चुकी है जिसकी चौसर पर सपा हारकर भी सियासी बाजी जीती हुई नजर आ रही है कयास लगाए जा रहे हैं कि वह भाजपा और बसपा मे सांठगांठ होने का संदेश देने में सफल रही है। कुछ हद तक इसे सही भी मान लिया जाए तो भी गहराई से विश्लेषण करने पर पता चलता है कि सपा से ज्यादा भाजपा अपनी रणनीति से सफल रही भाजपा के रणनीतिकारों के हाथों विपक्ष एक बार फिर से मात खा चुका है। भाजपा के इस दांव ने 2022 के चुनाव में विपक्ष की बची-कुची संभावनाओं के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी है।

आमतौर पर आक्रमक राजनीति के लिए पहचानी जाने वाली भाजपा ने इस बार सुरक्षात्मक सियासी खेल खेला। शुरुआती तौर पर देखने में तो यह भाजपा की रणनीतिक चूक लगी कि उसने क्षमता होते हुए भी राज्यसभा चुनाव के लिए नौ की जगह सिर्फ आठ उम्मीदवार उतारे। पर, गहराई से देखने पर अब लगता है कि राज्यसभा की नौ सीटें जीतने की क्षमता होने के बावजूद सिर्फ आठ उम्मीदवार उतारना उसकी रणनीतिक चाल थी।

ये भी पढ़ें: ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्‍मनिर्भर भारत’ की राह पर बढ़े यूपी के कदम

विपक्ष को एक सीट के जाल में उलझाकर भाजपा ने एक बार फिर यह संदेश दे दिया कि उससे निपटने का एलान करने वालों की प्राथमिकता आपस में ही एक-दूसरे से निपटने और निपटाने की है। वह यह साबित करने में भी सफल रही कि विपक्ष के पास कोई सकारात्मक मुद्दा नहीं है सिवाय विरोध के लिए भाजपा का विरोध करने के। जिस तरह सपा विधायकों के समर्थन से नामांकन की अवधि समाप्त होने से कुछ मिनट पहले प्रकाश बजाज का निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन हुआ उससे वह कहीं न कहीं यह संदेश दिलाने में वह कामयाब रही कि अनुसूचित जाति के लोगों को कौन बढ़ने से रोकना चाहता है?

बसपा ने सपा पर अनुसूचित जाति के लोगों की तरक्की बर्दाश्त न कर पाने का आरोप लगाकर इसी संदेश को बढ़ाया। देखने में तो यह लगता है कि राज्यसभा चुनाव के जरिये सपा ने बसपा के विधायकों में तोड़फोड़ कराकर यह साबित कर दिया कि भाजपा से मुकाबले की क्षमता वही रखती है। पर, रामजी गौतम और बजाज के नामांकन को खारिज कराने तथा बचाने की बुधवार को दिन भर चली खींचतान ने कहीं न कहीं न सिर्फ दोनों दलों के बीच खाईं को ज्यादा गहरा कर दिया है बल्कि विपक्ष को भी बिखरा दिया है। एक तो इस सियासी चौसर पर सपा की हार को किसी न किसी रूप में बसपा और भाजपा दोनों मुद्दा बनाएंगी और सपा को अनुसूचित जाति विरोधी साबित करने की कोशिश करेंगी तो भगवा टोली यह कोशिश भी करेगी कि बसपा के उम्मीदवार रामजी गौतम की जीत के संदेश का सियासी लाभ उसे भी कुछ न कुछ जरूर मिले।

देश दुनिया की ताजातरीन सच्ची और अच्छी खबरों को जानने के लिए बनें रहें www.dastaktimes.orgके साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए https://www.facebook.com/dastak.times.9 और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @TimesDastak पर क्लिक करें।

साथ ही देश और प्रदेश की बड़ी और चुनिंदा खबरों के ‘न्यूज़-वीडियो’ आप देख सकते हैं हमारे youtube चैनलhttps://www.youtube.com/c/DastakTimes/videosपर। तो फिर बने रहियेwww.dastaktimes.orgके साथ और खुद को रखिये लेटेस्ट खबरों से अपडेटेड।

Related Articles

Back to top button