उत्तर प्रदेशराज्य

राम मंदिर ट्रस्ट और नागा साधु अंगद टीला की 1.6 एकड़ जमीन के लिए आये आमने-सामने

अयोध्या : उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से अंगद टीला में 1.6 एकड़ जमीन के अधिग्रहण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है इस विवाद ने हनुमानगढ़ी के नागा साधुओं को उस ट्रस्ट के खिलाफ खड़ा कर दिया है, जो वर्तमान में राम मंदिर के निर्माण की देखरेख कर रहा है। ट्रस्ट इस भूमि का उपयोग राम जन्मभूमि परिसर और उससे जुड़ी परियोजनाओं के विस्तार के लिए करना चाहता है जबकि हनुमान गढ़ी के नागा साधुओं का दावा है कि जमीन पर उनका हक है।

दोनों पक्षों में गतिरोध रविवार को भी जारी रहा। इस दौरान नागा साधु अपनी जिद पर अड़े रहे और विरोधस्वरूप राम जन्मभूमि परिसर से सटे अंगद टीला भूमि पर भजन-कीर्तन करते हुए लंगर (सामुदायिक रसोई) आयोजित किया। शनिवार को अर्थ मूवर्स की मदद से नागा साधुओं ने ट्रस्ट के कराए गए निर्माण काम को भी ध्वस्त कर दिया। अंगद टीला का एक हिस्सा राम जन्मभूमि परिसर के भीतर स्थित है, जबकि स्मारक की अधिकांश भूमि इसके बाहर स्थित है।

नागा साधुओं के दावे के मुताबिक, ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि अंगद टीला भूमि हनुमान गढ़ी की संपत्ति है। हनुमान गढ़ी के पुजारी रमेश दास का दावा है कि हनुमान गढ़ी के हरद्वारी पीठ के महंत मुरली दास अंगद टीला के संरक्षक हैं। ट्रस्ट और हनुमान गढ़ी के बीच कई हफ्तों की असफल बातचीत के बाद अयोध्या प्रशासन ने भूमि को “नजूल भूमि” (सरकारी भूमि) घोषित कर दिया है।

अयोध्या प्रशासन का प्रतिनिधित्व करते हुए उप-विभागीय मैजिस्ट्रेट ने हनुमानगढ़ी के नागा साधुओं के साथ चर्चा की, लेकिन ये वार्ता बेनतीजा साबित हुई। अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत संजय दास ने कहा कि जमीन साफतौर पर हनुमान गढ़ी की है। हमारे पास सभी आवश्यक रिकॉर्ड हैं। इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने कहा कि ट्रस्ट ने भूमि (अंगद टीला) का अधिग्रहण करने की मांग की थी। ट्रस्ट और हनुमान गढ़ी के बीच बातचीत गतिरोध पर पहुंच गई है। हम अब इस मामले में शामिल नहीं हैं। जिला प्रशासन जो कर रहा है (अंगद टीला की जमीन को सरकारी जमीन घोषित करना) वह हमारे नियंत्रण से बाहर है।

जून 2021 में अयोध्या में एक और भूमि खरीद विवाद में ट्रस्ट का नाम सामने आया था। इस विवाद में अयोध्या के बाग बिजैसी में 1.2080 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण शामिल थ लेकिन यह मुद्दा अब सुलझ गया है। अब, ट्रस्ट के अलग हटने से हनुमान गढ़ी के साधुओं की अयोध्या प्रशासन के साथ एक विवादास्पद लड़ाई की आशंका है। महंत संजय दास ने कहा कि हर कोई जानता है कि अयोध्या प्रशासन द्वारा अंगद टीला भूमि को अचानक ‘नजूल भूमि’ (सरकारी भूमि) घोषित करने के लिए किसने प्रेरित किया।

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