दस्तक-विशेषस्तम्भ

आत्मनिर्भर भारत का दम

रंजना मिश्रा : एयरो इंडिया शो 2021 का आरंभ 3 फरवरी को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में हुआ। दो साल में एकबार होने वाला यह शो 3 दिनों तक चला और इसका समापन 5 फरवरी को हुआ। एयरो इंडिया शो एयर स्पेस और डिफेंस सेक्टर के लिए एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी प्रदर्शनी है।

इसमें अलग-अलग एयरफोर्स के नए विमानों, हथियारों और तकनीकों का बेंगलुरु के येलहंका एयरफोर्स स्टेशन पर प्रदर्शन किया जाता है। प्रदर्शनी के साथ ही पब्लिक एयर शो भी होता है, जिसमें विमान अलग-अलग फार्मेशन में उड़ान भरते हैं और करतब दिखाते हैं। इसबार इस एयर शो का थीम आत्मनिर्भरता रहा। इस तेरहवें एयरो इंडिया 2021 शो में देश-विदेश की कुल 600 कंपनियों ने हिस्सा लिया, इसमें भारत के अलावा 14 देशों की 78 कंपनियों ने भाग लिया था। कोरोना की वजह से यह शो पहली बार वर्चुअली हुआ।

इस शो में एचएएल की ‘आत्मनिर्भर फार्मेशन फ्लाइट’ में देशी-स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के साथ फील्ड विंग और रोटरी विंग एयरक्राफ्ट ने उड़ान भरी। इसबार का शो बहुत खास रहा क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में भारत में पूरी तरह से विकसित विमानों और हेलीकॉप्टरों का प्रदर्शन किया गया। शो की शुरुआत में सबसे पहले भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस सु-30 एमकेआई को प्रदर्शित किया। वैसे तो सुखोई रूस में निर्मित विमान है लेकिन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का इसमें सहयोग रहता है।

वहीं जो ब्रह्मोस मिसाइल सुखोई में लगी है उसे डीआरडीओ ने विकसित किया है, ये मिसाइल 400 किलोमीटर की दूरी तक अपने लक्ष्य पर अचूक निशाना लगाती है। इस शो में आसमान में तीन सुखोई विमान त्रिशूल फार्मेशन में नजर आए। इसके बाद आत्मनिर्भर फार्मेशन में 5 विमान आसमान में नजर आए, जिसमें एलसीए तेजस अगुवाई करता दिखा। तेजस के पीछे चार छोटे एयरक्राफ्ट थे, इसके बाद भारतीय वायुसेना के एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम एयरक्राफ्ट ने नेत्र फॉर्मेशन में उड़ान भरी, जिसे हम आम भाषा में आसमान में वायुसेना की आंख कह सकते हैं। ये एयरक्राफ्ट दूर से ही दुश्मनों के विमानों की पहचान कर लेते हैं और इसकी जानकारी कंट्रोल रूम को देते हैं, जिसके बाद फाइटर जेट्स दुश्मन के विमानों पर कार्यवाही करते हैं।

इस शो में अमेरिकन बी-1बी लांसर एयरक्राफ्ट ने भी उड़ान भरी, यह विमान अमेरिका के दक्षिणी डकोटा एयरवेज से उड़ा था और 26 घंटे बाद बेंगलुरु पहुंचा। ये बॉम्बर दुनिया में कहीं भी किसी भी मिशन में जाने में सक्षम है। अमेरिकी विमान कंपनी बोइंग ने अपने खतरनाक लड़ाकू विमान एफ-15 ई एक्स का काम पूरा कर लिया है, ये विमान पुराने एफ-15 का हाईटेक वर्जन है, जो कई परमाणु मिसाइलों को दागने में सक्षम है, साथ ही कई लड़ाकू विमानों का सामना अकेले कर सकता है। ये विमान भारत के लिए भी काफी खास है क्योंकि बोइंग ने भारतीय वायुसेना को भी इस हाईटेक विमान का ऑफर दिया है।

चीन और पाकिस्तान के विवाद के चलते भारत लगातार अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है। इसके अलावा भारत की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा उन्नत तकनीकों के लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर देश में ही निर्मित हों, इसी वजह से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने एलसीए तेजस को विकसित किया है, इसका पूरा नाम लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस है,जो वायुसेना के साथ नौसेना के भी काम आता है। एयरो इंडिया शो के आगाज के साथ ही भारत सरकार ने 3 फरवरी को एक बड़ा सौदा किया जिसके तहत 83 तेजस विमान वायुसेना में शामिल होंगे, जिनकी कीमत 48 हजार करोड़ रुपए के आसपास होगी। ये स्वदेशी उत्पाद के लिए सबसे बड़ी डिफेंस डील है, इससे स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री को बहुत मजबूती मिलेगी।

भारत के आसमान में उड़ते हुए इन फाइटर्स की गर्जना सिर्फ आसमान में सशक्त भारत की गूंज ही नहीं है बल्कि आत्मनिर्भरता के रास्ते पर हिंदुस्तान के मजबूत कदमों की दस्तक भी है। जब आसमान को चीरते हुए रफाल निकलता है, जब गगन में तेजस कलाबाजी खाता है, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर जो जल्द ही वायुसेना को नई ताकत देने जा रहा है, इन्हें देखकर लगता है कि भारत के इन आसमानी लड़ाकों का कोई जवाब नहीं है, इनकी गर्जना से दुश्मनों का कांपना तो लाजमी है। यह शो केवल एक शो ही नहीं था बल्कि आत्मनिर्भर भारत की उड़ान का सशक्त प्रदर्शन भी था। सारंग हेलीकॉप्टर और सूर्य किरण ने पहली बार आसमान में अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। भारतीय वायुसेना के लिए सबसे अहम बने हुए रफाल और तेजस ने कलाबाजियां दिखाईं।
यह एयर शो कई मायनों में रक्षा क्षेत्र में भारत की तस्वीर बदलने की एक झलक है। रक्षा क्षेत्र में बढ़ती ताकत को दुनिया ने देखा।

भारतीय वायुसेना को और मजबूत बनाने की सरकार की नीति के साथ ही भारतीय डिफेंस इंडस्ट्री को भी महाशक्ति बनाने की राह में भारत ने एक बड़ा कदम बढ़ा दिया है। इससे पहले विदेशी लोग अपनी टेक्नोलॉजी यहां लाकर शोकेस करते थे और यहां की इंडस्ट्री उनके साथ हाथ मिलाकर उस टेक्नोलॉजी को हासिल करती थी, अब भारत शोकेस कर रहा है। इस दौरान पायलटों ने भी अपनी कौशल क्षमता और एकाग्रता का प्रदर्शन किया।

भारतीय वायुसेना की शान बनने जा रहे तेजस मार्क-1ए की गिनती दुनिया के सबसे छोटे लड़ाकू विमानों में होती है। तेजस दुनिया की सबसे खतरनाक क्रूज मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस से लैस होगा। तेजस एक बार में दो ब्रह्मोस-एनजी मिसाइलें ले जा सकेगा, हवा से जमीन पर मार करने वाली इन मिसाइलों के जरिए करीब 300 किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के किसी ठिकाने को तबाह किया जा सकेगा। तेजस अत्याधुनिक आइसा रडार से लैस होगा, जिससे तेजस के पायलट को दुश्मन के विमानों को ट्रैक करने और उन्हें निशाना बनाने की अचूक ताकत मिल जाएगी। तेजस मार्क 1ए के अंदर हवा में ही ईंधन भरने की सुविधा होगी।

तेजस एक मल्टीरोल, हल्का फाइटर एयरक्राफ्ट है, जिसको भारत ने विकसित किया है। 404 टर्बो फैन के बेहद शक्तिशाली इंजन की मदद से तेजस 2200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है, तेजस करीब 1700 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है‌, अपनी इन्हीं खूबियों की वजह से तेजस को चौथी पीढ़ी का विमान माना जाता है। तेजस वायु सेना में मिग-21 की जगह लेगा। वहीं रफाल हैवी फाइटर जेट है।

अप्रैल 2022 तक 32 रफाल भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हो जाएंगे और फरवरी 2024 से 83 तेजस जेट्स का मिलना शुरू हो जाएगा, 40 तेजस एयरक्राफ्ट का सौदा पहले ही हो चुका था, इस प्रकार भारतीय वायुसेना में कुल 123 तेजस फाइटर जेट्स शामिल हो जाएंगे, जिससे भारतीय वायुसेना की ताकत बहुत मजबूत हो जाएगी। ऊंचे आसमान में हिंदुस्तानी शौर्य की पताका लहराते हुए, आत्मनिर्भर भारत की ऊंची उड़ान देखकर सभी हिंदुस्तानियों का दिल गर्व से भर गया है।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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