दिल्ली

सर्विसेज सेक्रेटरी आशीष मोरे ने सचिवालय छोड़ा, फोन स्विच ऑफ – सौरभ भारद्वाज

नई दिल्ली । दिल्ली सरकार में सर्विसेज मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बड़े पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल की पहल करते हुए सर्विसेज सचिव आशीष मोरे को सेवा विभाग के सचिव पद पर नए अधिकारी की नियुक्ति संबंधी फाइल पेश करने के निर्देश दिए हैं। कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज के मुताबिक, इस आदेश के बाद से आशीष मोरे ने अप्रत्याशित रूप से मंत्री कार्यालय को सूचित किए बिना सचिवालय छोड़ दिया और उनका फोन भी स्विच ऑफ है।

दिल्ली सरकार का कहना है कि सेवा विभाग के सचिव ने न केवल अपना फोन स्विच ऑफ कर लिया है बल्कि उन्होंने सर्विसेज मंत्री सौरभ भारद्वाज को एक पत्र भी भेजा है। इस पत्र में सर्विसेस सचिव ने गृह मंत्रालय (एमएचए) की 21 मई 2015 की अधिसूचना का हवाला देकर बताया है कि अभी तक उसको बदला नहीं गया है। इसके साथ ही सेवा सचिव ने नए अधिकारी को लाने के लिए फाइल भी शुरू नहीं की है।

दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि आशीष मोरे ने संभवत केंद्र सरकार के प्रभाव में यह कदम उठाया है। भारद्वाज का कहना है कि इसके बाद सेवा सचिव के ध्यान में लाया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करने पर इसे संभावित रूप से अदालत की अवमानना माना जाएगा। उधर दिल्ली सरकार ने इस पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखने की भी तैयारी की है।

दिल्ली सरकार का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार और उपराज्यपाल देश की सर्वोच्च अदालत के आदेशों का पालन करने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। दिल्ली सरकार पारदर्शिता, दक्षता और सुशासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है। यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में प्रशासनिक फेर-बदल की घोषणा की है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 11 मई को प्रमुख योजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए सक्षम और ईमानदार अधिकारियों की नियुक्ति की जरूरत पर जोर दिया। साथ ही उन अधिकारियों को हटाने की बात कही, जो योजनाओं की प्रगति को बाधित कर रहे हैं।

अरविंद केजरीवाल सरकार ने पहली कार्रवाई करते हुए दिल्ली सरकार में सर्विसिस विभाग के सचिव आशीष मोरे को हटा दिया है। सीएम अरविंद केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली में अब बहुत बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होगा। मुख्यमंत्री के मुताबिक, कुछ अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने पिछले डेढ़ साल में जनता के काम रोके, मोहल्ला क्लीनिक की दवाइयां, टेस्ट और दिल्ली जल बोर्ड का पैसा रोका है। ऐसे अधिकारियों पर शिकंजा कसा जाएगा। ईमानदार अधिकारियों और कर्मचारियों को मौका दिया जाएगा।

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