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पाकिस्तान कर्ज के लिए घुटनों पर, IMF की शर्त मानने को सेना का बजट भी घटाया; 20 पर्सेंट की कटौती

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली लगातार बढ़ती जा रही है और अब इसका असर उसकी सेना पर भी दिखने लगा है। आईएमएफ की ओर से उसे दिए गए कर्ज के तहत एक शर्त यह भी रखी गई थी कि वह नए वित्त वर्ष में बजट सरप्लस की स्थिति बनाना है। इस शर्त को पूरा करने के लिए पाकिस्तान को अपने सैन्य बजट में कटौती करनी पड़ी है। 10 जून को नेशनल असेंबली में पेश किए गए बजट में सेना पर 363 अरब रुपये खर्च करने का ऐलान किया गया था। लेकिन अब यह रकम घटाकर 291 अरब रुपये ही कर दी गई है। इस तरह से पाकिस्तान ने अपनी सेना के बजट में 20 फीसदी तक की कटौती कर दी है।

पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने संशोधित बजट को संसद से मंजूरी मिलने के बाद यह जानकारी साझा की है। संशोधित बजट के तहत पाकिस्तान ने सेना के लिए आवंटित रकम में 72 अरब रुपये यानी करीब 20 फीसदी तक की कमी कर दी है। यह आवंटन नियमित रक्षा बजट से इतर था। बीते कुछ सालों में यह दूसरा मौका है, जब पाकिस्तान को अपने रक्षा कार्यक्रमों में कटौती करनी पड़ी है। ऐसा वित्तीय संकट और आईएमएफ की ओर से तय की गई शर्तों के तहत करना पड़ा है। इससे पहले बीते साल सरकार की ओर से सेना के लिए 340 अरब रुपये का बजट आवंटित किया गया था, लेकिन खर्च 270 अरब रुपये ही किया गया था।

पाकिस्तानी अखबार द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह कटौती इसलिए की गई है ताकि आईएमएफ की ओर से तय किए गए टारगेट को हासिल किया जा सके। सरकार ने लक्ष्य तय किया है कि इस वित्त वर्ष में प्राइमरी बजट सरप्लस 153 अरब रुपये रहे। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की शर्तों के चलते ही पाकिस्तान ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में एकमुश्त 35 रुपये तक का इजाफा कर दिया था। इस फैसले की आम लोगों ने काफी आलोचना की है और पूर्व पाक पीएम इमरान खान भी लगातार शहबाज शरीफ पर हमलावर हैं।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से पाकिस्तान को भ्रष्टाचार पर नकेल कसने की भी नसीहत दी गई है। आईएमएफ का कहना है कि पाकिस्तान को अपने भ्रष्टाचार निरोधक कानूनों की समीक्षा करनी होगी और उन्हें सख्त बनाना होगा। उसने सलाह दी है कि पाकिस्तान को इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स से सलाह लेते हुए कानून बनाने चाहिए ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम कसी जा सके।

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