राज्यराष्ट्रीय

पूर्वोत्तर में भी कृषि क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र से हरसंभव मदद: तोमर

पूर्वोत्तर में भी कृषि क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र से हरसंभव मदद: तोमर
पूर्वोत्तर में भी कृषि क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र से हरसंभव मदद: तोमर

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि मेघालय सहित पूर्वोत्तर राज्यों में कृषि क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र सरकार हरसंभव मदद करेगी। उन्होंने मेघालय के किसानों की अथक मेहनत की तारीफ करते हुए कहा कि अन्नदाताओं की प्रगति के लिए केंद्र सरकार उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।

तोमर और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा ने एक कार्यक्रम में मेघालय की प्रसिद्ध “लकडोंग हल्दी” की यूएसए में लांचिंग की। इस अवसर पर तोमर व कॉनराड ने सभी किसानों व अन्य निवासियों को बधाई देते हुए कहा कि आज पूर्वोत्तर के उनके अपने राज्य की लकडोंग हल्दी की प्रसिद्धि सात समुंदर पार पहुंच गई है।

मेघालय के जयन्तिया हिल्स जिले में एक एफपीओ ने लकडोंग हल्दी से न्यूट्रास्यूटिकल्स बनाने हेतु संयुक्त राज्य अमेरिका की एक कंपनी के साथ सहयोग किया है। ऐसे और भी प्रयासों की जरूरत है तथा राज्य में नए एफपीओ भी बनाए जाएं, ताकि छोटे व गरीब किसानों को सहायता मिल सके।

मर ने कहा कि प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर मेघालय में कृषि व औषधियों के क्षेत्र में प्रचुर संभावनाएं है। मेघालय की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आधारित है व किसान अलग जलवायु में भी श्रेष्ठ किस्म की हल्दी सहित अन्य फसलें उगा रहे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत, हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक देश है जो वैश्विक उत्पादन में 80 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है। वर्ष 2019-20 के अनुमान के मुताबिक, भारत ने 2.50 लाख हेक्टेयर के अनुमानित क्षेत्र से 9.40 लाख टन हल्दी का उत्पादन किया है।

भारत हल्दी का विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक भी है और भारतीय हल्दी अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रीमियम मूल्य प्राप्त करती है। भारत में उत्पादित हल्दी का लगभग 16 से 17 प्रतिशत हल्दी पाउडर, कुरकुमिन पाउडर, तेल और ओलेओरिंस सहित निर्यात उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत से हल्दी का निर्यात काफी बढ़ा है।

तोमर ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने मेघालय की पारिस्थितिक स्थिति की विशिष्टता की पहचान की है, जो राज्य के अन्य स्थानों की तुलना में बहुत अधिक कुरकुमिन वाली ‘लकडोंग’ प्रजाति की हल्दी का उत्पादन करने में सक्षम बनाता है।

इस अनूठी प्राकृतिक किस्म ने इस क्षेत्र के किसानों को राज्य में सर्वोत्तम हल्दी मसाले का उत्पादन करने का सुनहरा अवसर दिया है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए आईसीएआर के पूर्वोत्तर अनुसंधान परिसर ने लकडोंग से एक उच्च उपज व उच्च कुरकुमिन वाली प्रजाति का चयन किया है और इसे ‘मेघा हल्दी 1’ के रूप में जारी किया है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में हल्दी के जैविक उत्पादन के लिए आईसीएआर के अखिल भारतीय समन्वित मसाला अनुसंधान प्रोजेक्ट के अंतर्गत एक जैविक उत्पादन प्रणाली का विकास एवं सफल परीक्षण भी किया गया है।

यह भी पढ़े: भोपाल और इंदौर में नाइट कर्फ्यू में ढील, अब रात दस बजे तक खुलेंगी दुकानें 

उन्होंने बताया कि केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा एमआईडीएच के अंतर्गत सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के बागवानी विभागों के माध्यम से हल्दी सहित राइज़ोमेटिक मसालों की खेती के लिए 30 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता प्रदान की जाती है। इस तरह की पहल से छोटे किसानों का काफी मनोबल बढ़ेगा व आय सहायता मिलेगी।

कृषि व किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि 1 लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड तथा 10 हजार नए एफपीओ जैसी केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं से कृषि क्षेत्र का समग्र विकास होगा। नए कृषि कानूनों से भी किसानों के जीवन में समृद्धता आएगी। ऐसे कदम किसानों व कृषि के विकास के लिए क्रांतिकारी पहल हैं। हमारा लक्ष्य किसानों की आय को दोगुनी करना है ताकि उनका जीवन स्तर ऊंचा उठ सकें।

कार्यक्रम में मेघालय के मुख्यमंत्री कानराड के. संगमा ने कहा कि मेघालय की लकडोंग हल्दी उगाने वाले किसानों के लाभ तथा इसकी ब्रांडिंग के लिए के लिए दो साल से मिशन शुरू किया गया है। इसके माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य है। उन्होंने इस मिशन को केंद्र सरकार के साथ मिलकर आगे बढ़ाने का विचार व्यक्त किया।

Related Articles

Back to top button