अन्तर्राष्ट्रीय

भारत के खिलाफ ‘एजेंडा’ चलाने वाले इस मुस्लिम देश से होती है आतंकियों की फंडिग, कब लगेगा प्रतिबंध?

दोहा : पाकिस्तान और तुर्की, दो ऐसे मुस्लिम राष्ट्र हैं, जिन्हें आतंकियों को फंडिंग करने के लिए एफएटीएफ के ग्रे-लिस्ट में फेंका जा चुका है और अब खुलासा हुआ है, कि एक और मुस्लिम देश है, जो आतंकियों को पालने में और वैश्विक आतंकवाद को बढ़ाने में काफी अहम भूमिका निभाता है और दुनिया के खतरनाक आतंकी संगठनों तक पैसा पहुंचाने की व्यवस्था करता है। पैगंबर मोहम्मद विवाद पर कतर ही वो देश था, जिसने सबसे पहले भारत के खिलाफ मोर्चा खोला था और अब खुलासा हो रहा है, कि वैश्विक आतंकवाद को फ्यूल करने में सबसे अहम भूमिका कतर से ही निभाया जाता है।

मजहबी उन्माद फैलाने में माहिर है कतर
रिपोर्ट के मुताबिक, पॉलिसी रिसर्च ग्रुप ने लंदन के एक लेखक जेम्स डगलस क्रिक्टन का हवाला देते हुए बताया है कि, कतर में मौजूद उन्मादी मजहबी संगठन वैश्विक आतंकवाद को फंड करने में सबसे अग्रणी भूमिका निभाता है। इन संगठनों की तरफ से दुनियाभर के मुस्लिम संगठनों, मस्जिदों, मदरसों तक पैसा पहुंचता है। खुलासा हुआ है कि, कतर के चैरिटी ग्रुप मुस्लिम समुदायों के बीच शिक्षा और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए लाखों डॉलर भेजे गए हैं। इस तरह के संगठन मुस्लिम संगठनों को इस्लाम के एक कट्टरपंथी स्कूल को बढ़ावा देने के लिए वित्त पोषित कर रहे हैं, जो भारत जैसे बहु-धार्मिक समाजों में मतभेदों और संदेह को गहरा करता है।

चरमपंथियों का समर्थन
रिपोर्ट के अनुसार, भारत सहित दुनिया भर में चरमपंथ का समर्थन करने में लिप्त कतर में प्रमुख चैरिटी शेख ईद बिन मोहम्मद अल थानी चैरिटेबल एसोसिएशन है, जिसे ईद चैरिटी भी कहा जाता है, जिसके संस्थापक सदस्यों में से एक को विशेष रूप से 2013 में यू.एस. ट्रेजरी विभाग द्वारा वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) द्वारा नामित किया गया था। कतर चैरिटी फंडिंग के कई प्रत्यक्ष लाभार्थी बदले में छोटे समूहों का समर्थन कर रहे हैं, जो अल कायदा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवेंट (आईएसआईएल) जैसी वैश्विक आतंकवादी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं और इन आतंकी संगठनों के लिए वास्तव में शेल संस्थाओं की तरफ काम करते हैं। पीओआरईजी ने आगे बताते हुए कहा कि, ईद चैरिटी कथित तौर पर स्थानीय कतर चैरिटी और फाउंडेशन शेख थानी इब्न अब्दुल्ला फॉर ह्यूमैनिटेरियन सर्विसेज (आरएएफ) के साथ भी काम करती है. और जो कथित तौर पर आतंकी-वित्तपोषित चैरिटी समूह है।

कतर का आतंकी एजेंडा जानें
उग्रवाद और आतंकवाद को वित्तपोषण और नकदी पहुंचाने वाले तरीकों को लेकर कई स्टडी की गई है, जिसमें पता चला है कि, तालिबान जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ कतर की प्रत्यक्ष भागीदारी है। काबुल पर कब्जे से पहले तालिबान का आधिकारिक ऑफिस कतर की राजधानी दोहा में हुआ करता था। वहीं, ईद चैरिटी जैसे चैरिटी संगठन सामुदायिक कल्याण को दान की तरह उपयोग करते हैं, क्योंकि यह चरमपंथी संगठनों को उन गतिविधियों के लिए धन का उपयोग करने में मदद करता है जो प्रकृति में राष्ट्र विरोधी हैं। अमेरिका स्थित मिडिल ईस्ट फोरम द्वारा प्रकाशित लीक हुए ईद चैरिटी दस्तावेज से पता चलता है कि, भारत में आठ सलाफी समूहों को पैसे ट्रांसफर किए गये हैं। ये पैसा मस्जिदों के निर्माण, मरम्मत और पानी पंप सेट स्थापित करने के नाम पर भेजे गये हैं, जिनका इस्तेमाल मजहबी कट्टरता फैलाने के लिए किया जाता है।

भारत में किस संगठन के पास कितने रुपये पहुंचे?
पीओआरईजी ने बताया कि, कतर के इस ट्रस्ट से भारत के सलाफी समाज तक करोड़ों रुपये पहुंचे हैं। केरल सलाफी परोपकारी समाज (क्यूआर 17,710,845.00), साइम्पोजियम एजुकेशनल चैरिटेबल सोसाइटी- उबे (क्यूआर 7,330,385.00), पीस एजुकेशन सेंटर – भारत (क्यूआर 1,906,885.00), अल-सफा एजुकेशनल, इंडस्ट्रियल एंड इस्लामी चैरिटेबल सोसाइटी- इंडिया (क्यूआर 924,460.00), अल -हबीब एजुकेशनल एंड चैरिटेबल फाउंडेशन- भारत (क्यूआर 339,780.00), मैनेजमेंट ऑफ मॉस्क एंड स्कूल्स- इंडिया (क्यूआर 270,300.00), रिलेवेंस चैरिटेबल फाउंडेशन (क्यूआर 10,200.00) और ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द चैरिटेबल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एजुकेशन, हेल्थ एंड रिलीफ (क्यूआर 3,500.00) ) वैश्विक आतंक के लिए जिम्मेदार कुछ संगठन हैं।

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