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JDS क्यों बढ़ा रहा BJP की परेशानी, जानिए पूरी वजह

बेंगलुरु : मिशन 2024 की तैयारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) और विपक्षी दलों के ओर से तेज कर दी गई है। अब बीजेपी यूपी (UP BJP) भी मिशन मोड में अपने लोकसभा चुनाव के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है। इसके लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) से लेकर राज्य के बड़े नेता तक एक्टिव नजर आ रहे हैं। इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) भी जल्द राज्य में मोर्चा संभालने वाले हैं, किन्‍तु इस बीच सर्वे में सामने आए आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य में पार्टी को झटका लगते दिख रहा है।

बात कर रहे हैं कर्नाटक की जहां विधानसभा चुनाव में भाजपा को जहां कड़ी चुनौती कांग्रेस से मिलेगी, वहीं जनता दल (एस) उसकी दिक्कतों को बढ़ा सकता है। भाजपा की सबसे कमजोर कड़ी पुराना मैसूर क्षेत्र है। यह जद एस का लंबे समय से मजबूत गढ़ रहा है। इसके अलावा सामाजिक समीकरणों के हिसाब से वोक्कालिगा समुदाय का प्रभाव क्षेत्र होने से भी यह भाजपा की रणनीति के लिए मुफीद नहीं रहा है।

भाजपा के लिए कर्नाटक कितना अहम इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके केंद्रीय नेताओं ने बीते एक साल में जितने दौरे (चुनाव वाले राज्यों को छोड़कर) इस राज्य के लिए किए, किसी और राज्य के नहीं किए हैं। दरअसल, दक्षिण में भाजपा का यह एकमात्र गढ़ है और भाजपा इसे बरकरार रखने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। राज्य में त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा व कांग्रेस के साथ तीसरी ताकत जद एस की है। जद एस को लेकर राजनीतिक भ्रम की भी स्थिति है कि वह भाजपा के साथ भी जा सकती है। इससे भाजपा की दिक्कतें बढ़ रही है। भाजपा इसे रोकने के लिए लगातार बयान भी दे रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी साफ कर चुके हैं कि जद एस के साथ चुनाव में और उसके बाद भी कोई समझौता नहीं होगा।

पुराना मैसूर वोक्कालिगा समुदाय का प्रभाव वाला है, जिसके सबसे बड़े नेता पूर्व प्रधानमंत्री एच ची देवगौड़ा हैं। हालांकि, इस बार देवगौड़ा परिवार अपने अंतर्विरोधों से जूझ रहा है। पुराना मैसूर में 64 विधानसभा सीटें हैं। इसके व्यापक दायरे में बेंगलुरु भी आ जाता है तब इस क्षेत्र की सीटें बढ़कर 92 हो जाती है। 224 सदस्यीय विधानसभा में यह बड़ा आंकड़ा है। भाजपा को बीते चुनाव में इन 92 सीटों में से मात्र 22 सीटें ही मिली थी। उसके विरोधी जद एस व कांग्रेस के हिस्से में 70 सीटें आई थी।

राज्य का प्रभावी लिंगायत समुदाय पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येद्दुरप्पा के चलते भाजपा के साथ रहा है। ऐसे में वोक्कालिगा समुदाय का अधिकांश समर्थन जद एस व कांग्रेस को मिला है। कमजोर पड़ रहा जद एस अंदरखाने यह बात रख रहा है कि चुनाव बाद वह भाजपा के साथ भी जा सकता है। ऐसे में अपनी पैठ बढ़ा रही भाजपा के लिए दिक्कतें हो सकती हैं। साथ ही इस बात का भी खतरा है कि जद एस के कमजोर होने से उसका समर्थक वर्ग कहीं कांग्रेस के साथ न चला जाए। कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे डी के शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं।

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