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250 मुस्लिम छात्रों को किया हॉस्टल से बेदखल, मांग रहे हैं मदद

राजस्थान की राजधानी जयपुर की एक निजी यूनिवर्सिटी के हॉस्टल से बाहर निकाले गए जम्मू-कश्मीर के 250 छात्र अब पनाह मांगने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। जयपुर की सुरेश ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी के हॉस्टल से बेदखल ये छात्रों में से कोई खुले आसमान के नीचे रात गुजारने पर मजबूर है, तो कोई दुकानों, गोदामों के बेसमेंट में अपना सामान इकट्ठा कर रह रहा है। यही नहीं, हॉस्टल से निकाले गए कश्मीरी अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र अब स्थानीय मुस्लिम परिवारों से शरण देने के लिए मदद मांग रहे है।

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250 मुस्लिम छात्रों को किया हॉस्टल से बेदखल, मांग रहे हैं मददहालांकि, बताया जा रहा है कि जिन लड़कियों को हॉस्टल से निकाला था। उन्हें वापस यूनिवर्सिटी प्रशासन ने रख लिया है। ऐसे में सिर्फ ब्वॉयज छात्रों ही अपना सामान लेकर खाने व रहने के लिए इधर उधर भटक रहे हैं।

इन छात्रों में से एक जम्मू के किश्तवाड़ निवासी रणदीप कुमार के मुताबिक प्रधानमंत्री स्पेशल स्कॉलरशिप स्कीम के तहत जम्मू-कश्मीर के रहने वाले करीब साढ़े तीन सौ छात्रों ने वर्ष 2014-15 में जगतपुरा स्थित सुरेश ज्ञानविहार यूनिवर्सिटी में विभिन्न प्रोफेशनल और अन्य डिग्री कोर्सेज में एडमिशन लिया था।

उन्होंने बताया कि ​तीन साल से ये छात्र यूनिविर्सटी के ही हॉस्टल में रह रहे थे। पढ़ाई, खाने और रहने की सुविधाएं यूनिवर्सिटी प्रशासन मुहैया करवा रहा था।

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आतंकवाद ग्रस्त क्षेत्र से संबंधित छात्रा हैं ज्यादा

जानकारी के मुताबिक स्कॉलरशिप स्कीम में नई दिल्ली स्थित आॅल इंडिया काउंसिल फॉर टैक्नीकल एजुकेशन द्वारा इन छात्रों की पढ़ाई का खर्चा उठाया जाता है।
हॉस्टल से बाहर निकाले गए छात्रों का कहना है कि कुछ महिने पहले ही एआईसीटीए ने बताया कि कुछ कोर्सेज का पैसा इस स्कॉलरशिप स्कीम के तहत अप्रूव्ड नहीं हुआ है। इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों से कोर्स एजुकेशन के अलावा अन्य खर्चे उठाने से इंकार कर दिया।

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इस साल 1 अगस्त को ऐसे करीब ढाई सौ से ज्यादा छात्रों को हॉस्टल से बाहर कर दिया। इनमें ज्यादातर छात्र ऐसे हैं जो कि कश्मीर के आतंकवाद ग्रस्त प्रभावी क्षेत्र से आते हैं। एक पीड़ित छात्र ने कहा कि ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी का दावा है कि 2015 से उसके एडमिशन के बाद केंद्र सरकार ने स्कॉलरशिप की रकम यूनिवर्सिटी को नहीं दी है।

छात्र ने सरकारी सिस्टम पर सवाल उठाते हुए अगर सरकार के पास फंड को रिलीज़ करने का कोई प्लान ही नहीं होता तो वे स्कॉलरशिप इनाम में क्यों देते हैं?

 

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