उत्तर प्रदेशलखनऊ

‘उप्र में सरकारी सेवाओं से डाक्टरों का मोह भंग’

daktarलखनऊ (दस्तक ब्यूरो)। समयबद्ध वेतन उन्नयन (डीएसीपी) की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश के चिकित्सकों ने मोर्चा खोल दिया है। शासन स्तर पर कई चरण में हुई वार्ता के बाद भी मांगें न माने जाने पर चिकित्सकों ने 11 नवंबर से स्वास्थ्य महानिदेशालय पर क्रमिक अनशन का ऐलान किया है। अनशन में प्रदेशभर के चिकित्सक भाग लेंगे। प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष डा. अशोक यादव का कहना है कि इस सवंर्ग में डाक्टरों व विशेषज्ञों की कमी के कारण प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरा गई हैं। सरकारी सेवाओं से डाक्टरों का मोह भंग हो चुका है। दूसरी ओर वेतन विसंगति व प्रोन्नति आदि में शासन के उदासीन रवैये से सरकारी चिकित्सक चिकित्सका पलायन जारी है। इसके बाद भी शासन चिकित्सकों की मांगों को पूरा करने में हीला हवाली कर रहा है। संघ के महासचिव डा. सचिन वैश्य का कहना है कि छठे वेतन आयोग के क्रम में सरकार द्वारा गठित वेतन समिति 2००8 (रिजवी कमेटी) की संस्तुति के बाद भी चिकित्सकों को समयबद्ध वेतन उन्नयन का लाभ नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि डीएसीपी के तहत प्रांतीय चिकित्सकों को क्रमश: चार  नौ  तेरह व बीस वर्ष में उन्नयन वेतनमान देने की मांग की गई है। विभाग में दिए जाने वाले प्रमोशन में रिक्त पद के एवज में ही चिकित्सक को प्रोन्नति मिल पाती है। इसके अलावा आरक्षण आदि के कारण एक ही समय में तैनात चिकित्सकों के वेतनमान में काफी विसंगतियां आ गई हैं। डीएसीपी द्वारा इस विसंगति को दूर किया जा सकता है। 11 नवंबर से शुरू होने वाले क्रमिक अनशन में सभी मंडल के चिकित्सक क्रमवार भाग लेंगे। चिकित्सकों का कहना है कि इसके बाद भी मांगें न माने जाने पर वे इमरजेंसी सेवाएं ठप करने के लिए बाध्य होंगे।

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