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अपनी राशि के अनुसार करें होलिका की पूजा, मिलेगा विशेष लाभ

Holi 2020: रंगों के महापर्व होली में होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा पर नौ मार्च को पूर्वफाल्गुन नक्षत्र में सोमवार को प्रदोष काल से लेकर निशामुख रात्रि 11 बजकर 26 मिनट तक किया जाएगा। ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि यह संयोग काफी खास है। होली पर राशि के अनुसार आहुति देने से विशेष लाभ प्राप्त होगा।

ज्योतिष विद्वानों के मुताबिक होलिका दहन की भस्म को काफी पवित्र माना गया है। इस आग में गेहूं, चना की नई बाली, गन्ना को भूनने से शुभता का वरदान मिलता है। होली के दिन संध्या बेला में इसका टीका लगाने से सुख-समृद्धि और आयु में वृद्धि होती है। इस दिन नई फसल और खुशहाली की कामना भी की जाती है। इस दिन होलिका की आग में सेंक कर लाए गए धान्यों को खाने से काया हमेशा निरोगी रहती है। घर में माता अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है।

होलिका पूजन से अनिष्टता का नाश : भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री का कहना है कि नौ मार्च को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त मिथिला पंचांग के अनुसार प्रदोष काल से मध्यरात्रि तक है जबकि बनारसी पंचांग के अनुसार प्रदोष काल से लेकर निशामुख रात्रि 11 बजकर 26 मिनट तक है। होलिका दहन के दिन सुबह छह बजकर आठ मिनट से लेकर दोपहर 12:32 बजे तक भद्रा है इसीलिए होलिका दहन भद्रा के बाद किया जाता है। भद्रा को विघ्नकारक माना गया है। भद्रा में होलिका दहन करने से हानि और अशुभ फल मिलते हैं।

मेष और वृश्चिक राशि के लोग गुड़ की आहुति दें।

वृष राशि वाले होलिका में चीनी की आहुति दें।

मिथुन और कन्या राशि के लोग कपूर की आहुति दें।

कर्क के लोग लोहबान की आहुति दें।

सिंह राशि के लोग गुड़ की आहुति दें।

तुला राशि वाले कपूर की आहुति दें।

धनु और मीन के लोग जौ और चना की आहुति दें।

मकर व कुंभ वाले तिल को होलिका दहन में डालें।

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