जीवनशैली

अब डेटिंग ऐप भी हुई वुमन फ्रेंडली, बढ़ रहा है महिलाओं का आत्मविश्वास

महिला आज के समय में किसी भी चीज में पीछे नहीं हैं। वह हर चीज में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं. लेकिन फिर भी इस समाज में कुछ बंदिशें सिर्फ महिलाओं पर ही डाली गई हैं. उदाहरण के लिए लड़का लड़की को सीधा जाकर बोल सकता है कि वो उसे पसंद करता है लेकिन वहीं चीज पहले लड़की नहीं कह सकती क्योंकि ये समाज के नियमों के खिलाफ है. लेकिन आज का डिजिटल युग महिलाओं के जीवन में काफी सकारात्मक परिवर्तन लेकर आया है. जीं हां, डेटिंग ऐप महिलाओं को अपनी पसंद बताने का अधिकार दे रही हैं. उनको अपने पसंद का साथी चुनने की आजादी दे रही हैं और सबसे बढ़कर उनको उनकी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक बड़ा प्लेटर्फाम भी दे रहीं हैं.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मद्देनजर Shaadi.com ने एक अनोखा सर्वे किया है. उन्होंने महिलाओं से पूछा कि क्या वो सबसे पहले पुरुषों के सामने अपनी दिल की भावनाएं व्यक्त करना चाहती हैं. इस सवाल पर 84 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वो पुरुषों से पहले खुद पहल करने के लिए बिल्कुल तैयार हैं. इतना बड़ा आकड़ा ये बताने को काफी है कि आज की महिलाएं अपनी भावानाएं व्यक्त करने से ना तो शरमाती हैं ना झिझकती हैं. बता दें, इस परिवर्तन के पीछे एक बड़ा हाथ डेटिंग एप्स का है . जी हां डेटिंग एप्स एक ऐसा माध्यम बन गई हैं जहां महिलाएं ना सिर्फ अपने पसंद का साथी चुन सकती हैं बल्कि उनसे बात भी कर सकती हैं. इस समय देश में तीन डेटिंग एप्स काफी चर्चित है- बबल, टिंडर और वू. बता दें, बबल एप पर अपना साथी चुनने का सबसे पहला अधिकार महिलाओं को दिया गया है. वहीं ‘वू’ एक ऐसी एप है जहां पर महिलाएं अपने पसंद के साथी के साथ बात कर सकती हैं और ऐसा करते समय उनका पर्सनल नंबर भी उस व्यक्ति के साथ शेयर नहीं होगा.

इस बदलते माहौल के बारे में मुबंई की अश्विनी शिंदे कहती हैं ‘ मुझे मेरे परिवार और दोस्त हमेशा यह नसीहत देते हैं कि मै लड़कों के सामने अपनी इच्छाओं को ज्यादा खुलकर प्रकट ना किया करूं. लेकिन मैं समझती हूं हम हर बार लड़कों से क्यों उम्मीद करते हैं कि पहले वो अपनी इच्छाओं को व्यक्त करें? क्यां ये दोनों तरफ से नहीं होना चाहिए?’

आज के समय में महिलाओं का ये सवाल पूछना ही समझाने के लिए काफी है कि अब महिलाएं अपने आप को किसी भी प्रकार की बंदिशों में नहीं बांधना चाहती है. इसी बात को आगे बढ़ाते हुए मनोवैज्ञानिक हरीश शेट्टी कहते हैं ‘ महिलाओं की यह सोच उनके बढ़ते आत्मविश्वास की तरफ इशारा करती है.आज के टाइम में डेटिंग करना कोई गलत चीज नहीं है और दोनों पुरुष और महिलाओं को इसकी आजादी होनी चाहिए. और अगर महिलाएं कभी पहले पहल करें तो उसे कभी टेढ़ी नजर से नहीं देखना चाहिए.’

वैसे इन डेटिंग एप्स ने कम से कम महिलाओं को सशक्त तो किया है और उनको समाज के उन तानों से भी मुक्ति दिलाई है. बबल की ग्लोबल डायरेक्टर ऑफ स्ट्रैटिगी प्रीति जोशी के मुताबिक सोशल मीडिया कई मायनों में महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है, इसलिए हमें ऐसी एप की आवश्यकता है जो महिलाएं इस्तेमाल भी कर सके और उनकी सुरक्षा पर असर भी ना पड़े. बता दें, ‘बबल डेटिंग एप’ में ये सभी सुविधांए है.

तो मतलब साफ है, 2019 की महिलाएं अपनी इच्छाओं को खु्लकर व्यक्त भी करना चाहती हैं और समाज की इन बेड़ियों से मुक्त भी होना चाहती हैं.

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