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अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन पर SC की टिप्पणी

दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ nabam-tuki_650x400_41453873576नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम समझ सकते हैं कि इमरजेंसी हालात हैं।
10 खास बातें
  1. अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई होगी। कोर्ट ने कांग्रेस से अपनी याचिका में सुधार करने को कहा है।
  2. अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में दोपहर 2 बजे सुनवाई होगी।
  3. मामले की सुनवाई संवैधानिक पीठ करेगी। आज मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम समझ सकते हैं कि इमरजेंसी हालात हैं, लेकिन याचिका में कई खामियां हैं। उनको दुरुस्त किया जाए।
  4. कोर्ट ने कहा कि मामला अर्जेंट था, लेकिन याचिका दाखिल करते हुए कोर्ट की फीस (800 रुपये) जमा नहीं की गई। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के गंभीर मामलों में याचिका दाखिल करते हुए सावधानी बरतनी चाहिए।
  5. अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की तीखी आलोचना करते हुए कांग्रेस, जदयू, भाकपा और आप ने इसे संघवाद और लोकतंत्र की ‘हत्या’ करार दिया और भाजपा नीत केंद्र सरकार पर देश की सर्वोच्च अदालत को ‘अपमानित’ करने का आरोप लगाया जो अभी मामले की सुनवाई कर रही है।
  6. दरअसल, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले दो दिनों में गहन विचार-विमर्श के बाद केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश को मंजूरी प्रदान कर दी थी और इस आधार को स्वीकार कर लिया कि राज्य में ‘संवैधानिक संकट’ है।
  7. वहीं अरुणाचल से आने वाले गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि यह कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई है और हमें कांग्रेस से लोकतंत्र का पाठ सीखने की ज़रूरत नहीं है।
  8. अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नबाम टुकी का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा।
  9. संवैधानिक संकट की शुरुआत बीते साल हुई जब 60 सदस्यों वाली अरुणाचल विधानसभा में तब की कांग्रेस सरकार के 47 विधायकों में से 21 विधायकों ने अपनी ही पार्टी और मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत कर दी।
  10. इन विधायकों ने राज्य के डिप्टी स्पीकर को विधायक दल का नेता चुन लिया। बीजेपी के 11 विधायकों ने भी इसका समर्थन किया, जिसके चलते मुख्यमंत्री नबाम टुकी की सरकार अल्पमत में आ गई और राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बन गई।

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