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इतिहास में पहली बार RBI सरकार को देगी 1.76 लाख करोड़ रुपये…

भारतीय रिजर्व बैंक अपने सरप्लस रिजर्व में से 1.76 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार को देगा। आरबीआई के 84 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है। इस फैसले से सरकार को सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदद मिलेगी। गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आरबीआई बोर्ड ने सोमवार को 1,76,051 करोड़ रुपये केंद्र सरकार को देने की मंजूरी दी। यह सिफारिश पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति ने की थी। लेकिन, आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल इसके खिलाफ थे। इसी वजह से उन्होंने और डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इस्तीफा दे दिया था।

डिविडेंड के 95 हजार करोड़ मिलना तय है
आरबीआई 2013-14 के बाद से अपनी डिस्पोजेबल इनकम (खर्च करने लायक फंड) का 99% सरकार को देता आ रहा है। जहां तक डिविडेंड का सवाल है तो 2018-19 के लिए 1,23,414 करोड़ रुपये में से 28,000 करोड़ रुपये मार्च में ही अंतरिम डिविडेंड के तौर पर सरकार को दिए जा चुके हैं। मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान सरकार को 95,414 करोड़ रुपये डिविडेंड मिलना तय है। यह 1.76 लाख करोड़ के सरप्लस फंड के अलावा होगा।

विरल आचार्य ने अर्जेंटीना का उदाहरण देकर विरोध किया था
पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने सरकार के कदम का विरोध करते समय अर्जेंटीना का उदाहरण दिया था। 6.6 बिलियन डॉलर सरकार को देने के दबाव में अर्जेंटीना सेंट्रल बैंक के गर्वनर मार्टिन रेडरेडो ने भी इस्तीफा दे दिया था। बाद में सरकार को फंड मिल गया। इसके कुछ महीने बाद ही अर्जेंटीना के बॉन्ड, करेंसी और स्टॉक मार्केट धराशायी हो गए।

तीन से पांच साल में मिलेगा पैसा
यह पैसा सरकार को आरबीआई से तीन से पांच साल के बीच में मिलेगा। कॉन्टिजेंसी फंड, करेंसी तथा गोल्ड रवैल्यूएशन अकाउंट को मिलाकर आरबीआई के पास 9.2 लाख करोड़ रुपये का रिजर्व है, जो केंद्रीय बैंक के टोटल बैलेंस शीट साइज का 25 फीसदी है।

बैंकों को मिलेगी मदद
सरकार को इस फंड से बैंकों को मदद करने में आसानी होगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही सरकारी बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा कर चुकी हैं, जिससे बाजार में 5 लाख करोड़ रुपये आने की उम्मीद है। सरकार ने बजट में रिजर्व बैंक के लिए 90,000 करोड़ का डिविडेंड प्रस्तावित किया था जबकि पिछले वित्त वर्ष में आरबीआई ने डिविडेंड के तौर पर 68,000 करोड़ रुपये चुकाए थे।

यह लोग थे समिति में शामिल
आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान के अलावा इस समिति में पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन, वित्त सचिव राजीव कुमार, केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन और सेंट्रल बोर्ड के दो सदस्य भरत दोशी और सुधीर मनकड़ भी शामिल हैं।

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