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उत्तराखंड के जल स्रोतों को रीचार्ज करेगा जीएसआइ

देहरादून: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (जीएसआइ) विभाग ने देशभर के सूखते जल स्रोतों को रीचार्ज (पुनर्भरण) करने बीड़ा उठाया है। उत्तराखंड में इस काम की शुरुआत अल्मोड़ा जिले के जल स्रोतों से की जा रही है। इसको लेकर जीएसआइ ने केंद्रीय भूजल बोर्ड के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। भूजल बोर्ड व उत्तराखंड जल संस्थान के आंकड़ों पर गौर करें तो अल्मोड़ा के करीब 46 जल स्रोतों का पानी निरंतर घट रहा है। इनमें से 10 स्रोतों का पानी 90 फीसद तक घट गया है।उत्तराखंड के जल स्रोतों को रीचार्ज करेगा जीएसआइ

जीएसआइ के निदेशक भूपेंद्र सिंह के अनुसार अल्मोड़ा में उत्तर अल्मोड़ा व दक्षिण अल्मोड़ा नाम से दो भूकंपीय फॉल्ट लाइन गुजर रही है। अल्मोड़ा का बड़ा भूभाग इन दोनों लाइनों के मध्य आता है और इनके दायरे में आने वाले जल स्रोतों को ही रीचार्ज करने का निर्णय लिया गया है। जीएसआइ निदेशक भूपेंद्र सिंह के अनुसार देखा जाएगा कि कहीं फॉल्ट के सक्रिय स्थिति में होने के चलते तो स्रोत नहीं सीख रहे। स्थिति स्पष्ट होने के बाद उसके मुताबिक जल स्रोतों को रीचार्ज करने की कार्रवाई की जाएगी।

एमओयू हस्ताक्षरित होने के बाद जीएसआइ ने बोर्ड ने अल्मोड़ा के जल स्रोतों का पूरा ब्योरा मांगा है। वहीं, बोर्ड के क्षेत्रीय प्रमुख अनुराग खन्ना का कहना है कि उनके पास अभी सीमित रूप से जल स्रोतों की जानकारी उपलब्ध है। वह जल संस्थान से आग्रह करेंगे कि जिन भी स्रोत का वह जलापूर्ति के लिए प्रयोग कर रहे हैं, उनकी जानकारी अध्ययन के लिए उपलब्ध कराएं। 

1.5 लीटर प्रति मिनट भी प्रवाह

केंद्रीय भूजल बोर्ड अल्मोड़ा जिले के 15 जल स्रोतों की मॉनिटरिंग करता है। बोर्ड के अध्ययन की बात करें तो जिले में दो जल स्रोत ऐसा भी है कि जिसका प्रवाह महज 1.5 लीटर प्रति मिनट तक पाया गया है। वहीं, आठ स्रोत ऐसे हैं, जो प्रति मिनट 10 व इससे कम लीटर पानी देते हैं।

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