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उत्तर प्रदेश में होने वाले नुकसान की भरपाई दक्षिण के राज्यों से करने की तैयारी में भाजपा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को तमिलनाडु और केरल की यात्रा पर थे। यहां उन्होंने कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया और रैली को संबोधित किया। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो उनके इस दौरे का संबंध सीधे तौर पर लोकसभा चुनावों से है। भाजपा की कोशिश है कि 2019 लोकसभा चुनाव में उसजी जीत का का रास्ता दक्षिण के राज्यों से होकर निकले। लेकिन उसके सामने बड़ी चुनौती है। दक्षिण भारत में भाजपा कमजोर है। उत्तर भारत की तुलना में पार्टी यहां काफी कमजोर है।

सपा-बसपा गठबंधन से मुश्किल
भारतीय राजनीति में अमूमन यह कहा जाता है कि जो भी पार्टी उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रहती है उसे ही राज करने का मौका मिलता। लेकिन इस बार सपा-बसपा गठबंधन के चलते उसकी राह मुश्किल हो चली है। अब उनकी निगाह दक्षिण के राज्यों पर है। दक्षिणी राज्य भाजपा को वह आधी सीटें दिला सकते हैं जो वह उत्तर भारत में गंवा ने हालत में दिख रही है। यानी उत्तर भारत में पार्टी को होने वाले नुकसान की भरपाई दक्षिण के राज्यों के मतदाताओं को साधकर करने की कोशिश की जा रही है। हाल ही में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव हुए जहां पार्टी को करारी शिकस्त मिली।

क्या है रणनीति?
दक्षिण में पांच राज्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना और एक केंद्र शासित प्रदेश (पुड्डुचेरी) है। इन राज्यों में लोकसभा की 130 सीटें हैं। कर्नाटक को छोड़कर भाजपा की स्थिति अन्य राज्यों में अच्छी नहीं है। कर्नाटक की 28 में से 17 लोकसभा सीटें भाजपा के पास हैं। तमिलनाडु में गठबंधन के साथ पार्टी के पास केवल दो सीटें और तेलंगाना में एक सीट है। 2 हफ्तों से कम समय के अंदर रविवार को पीएम दूसरी यात्रा पर यहां पहुंचे थे।

खुले हैं विकल्प
मदुरई में पीएम ने एम्स अस्पताल की आधारशिला रखी थी। यहां एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी पर तो निशाना साधा लेकिन किसी भी क्षेत्रीय पार्टी को लेकर कुछ नहीं कहा। इससे अटकलें तेज हैं कि भाजपा एआईएडीएमके के साथ संभावित गठबंधन की उम्मीद लगाए बैठी है।

हिंदुत्व का मुद्दा
सबरीमाला पर दिए गए उच्चतम न्यायालय के फैसले जिसमें 10-50 साल की उम्र वाली महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है, यह भाजपा के लिए एक वरदान की तरह है। वह इस मुद्दे के जरिए केरल सरकार के खिलाफ हिंदुओं को अपने पक्ष में लामबंद करने की कोशिश में है। राज्य की कम्युनिस्ट सरकार अदालत के फैसले को लागू करने पर अड़ी हुई है। लेकिन भाजपा विरोध कर रही है। केरल के थ्रिसूर में एक रैली के दौरान पीएम ने राज्य सरकार पर हमला करते हुए उसपर लोगों की सांस्कृतिक मान्यताओं के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया था।

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