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‘कपड़ा जिस्म पर पहनाया जाता है, रूह पर नहीं’

कपड़ा जिस्म पे पहनाया जाता है, रुह पर नहीं…. और मैं रुह खोजने की कोशिश करता हूं…. ये डायलॉग है फिल्म NUDE में जिसे बोला है नसीरुद्दीन शाह ने. इस फिल्म को जहां सिनेमा के जानकार एक बेहतरीन फिल्म बता रहे हैं, केंद्र सरकार के एक मंत्रालय ने इसे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में दिखाने वाली फिल्मों की सूची से हटा दिया है. यानी मूवी बैन कर दी गई है, बिना कोई वजह बताए. आइए जानते हैं इस मूवी की कुछ खास बातें…

'कपड़ा जिस्म पर पहनाया जाता है, रूह पर नहीं'....रुह खोजने की कोशिश करता हूंमराठी मूवी के टीजर की शुरुआत कुछ महिलाओं के कपड़े धोने से होती है. फिर एक सीन में महिला को पेड़ पर लगे झूले पर बैठे दिखाया गया है. एक कॉलेज का सीन है जहां महिला न्यूड होती है और आर्ट्स स्टूडेंट ड्रॉइंग बनाते हैं. इसमें खूबसूरती से न्यूड मॉडलों की कश्मकश को दिखाया गया है.

डायरेक्टर रवि जाधव को भी ठीक-ठीक यह नहीं मालूम की उनकी मूवी को क्यों हटाया गया. हालांकि, उन्हें लगता है कि मंत्रालय ने बिना फिल्म देखे, सिर्फ टाइटल पढ़कर इसे रिजेक्ट कर दिया. जाधव का कहना है कि वे फिल्म का टाइटल कुछ और नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह विषय से जुड़ा हुआ है. यह फिल्म न्यूड मॉडलों की कश्मकश और संघर्ष को दिखाती है जो अपने बेटे को यह नहीं बता सकतीं कि उनका प्रोफेशन क्या है.

जूरी सदस्य और अवॉर्ड विनिंग फिल्म एडिटर और स्क्रिप्ट राइटर अपूर्व असरानी कहते हैं- “एस दुर्गा और न्यूड समकालीन भारतीय सिनेमा की बेहतरीन फिल्में हैं. ये फिल्में आज के भारत की महिलाओं की पावरफुल कहानियां कहती हैं.”

गोवा में 20 नवंबर से शुरू हुए इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाने के लिए 13 सदस्यों की जूरी ने इसे चुना था. जूरी ने ये भी कहा था कि यह पहली फिल्म होगी जिसे इंडियन पैनोरमा सेक्शन में दिखाया जाएगा. इसका टीजर यूट्यूब पर अपलोड किया गया है. पहले 10 दिनों में इसे 3 लाख से अधिक लोगों ने देखा है. ट्रेलर के कैप्शन में लिखा गया है- यह मूवी दुनियाभर के न्यूड मॉडल्स को समर्पित है जो आर्टिस्ट के लिए अपनी बॉडी और आत्मा को उघाड़ने का साहस करती हैं.

अब तक न ही भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय और न ही आईएफएफआई के डायरेक्टर की ओर से इन मूवी को हटाने को लेकर कोई बयान जारी किया गया है.

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