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कानून के स्नातक भ्रष्टाचार और अन्याय न सहें: राष्ट्रपति

pranabबेंगलुरु: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कानून के स्नातकों से आग्रह किया कि वे रिश्वत देने और हिंसा या दमन का समर्थन करने से इनकार करें। उन्होंने कहा कि वे शासन के बारे में जैसा बदलाव चाहते हैं वैसा बनें। मुखर्जी नेशनल ला स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (NLSIU) के 24वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “आपको बहादुर बनना होगा। यदि आपसे कोई रिश्वत देने को कहे तो इससे इनकार करने का साहस रखें। यदि आपसे हिंसा, भ्रष्टाचार या दमन का समर्थन करने को कहा जाए तो न कहने का साहस रखें।” राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि एक अन्यायपूर्ण व्यवस्था को तोड़ने का फैसला लेना बदले की कार्रवाई के डर से मुश्किल चुनाव है। महात्मा गांधी जो एक वकील थे, यदि बहादुर नहीं होते तो दक्षिण अफ्रीका के शासकों के खिलाफ लड़ने के कठिन चुनाव की इच्छा नहीं रखते। वह अहिंसा के औजार का सहारा नहीं ले सकते थे और स्वतंत्रता के लिए भारत के लोगों का नेतृत्व नहीं कर सकते थे।
राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि कानून से जुड़ी बिरादरी खासकर कानून के विद्यार्थियों को हर हाल में हमारे लोगों के अधिकारों एवं हित का नेतृत्व करने वाला होना चाहिए। एनएलएसआईयू की तरह के विश्वविद्यालयों को चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मातृभूमि के लिए हमारा प्यार, कर्तव्य पालन, सबके लिए करुणा, सहनशीलता, बहुलतावाद, महिलाओं का सम्मान, जीवन में ईमानदारी दिमाग में बैठ जाए। राष्ट्रपति ने यह भी उल्लेख किया कि कानून की शिक्षा के क्षेत्र में पिछले दो दशकों में एक मिसाल के रूप में परिवर्तन आया है। कानून के विश्वविद्यालय हर हाल में सैद्धांतिक अवधारणा में और व्यवहारिक अनुप्रयोग के बीच की खाई को जानने और सभी मुद्दों पर सवाल पूछने की उत्सुकता पैदा करके सेतु बनें।

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