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कोच निक्की को बनाना चाहते थे एथलीट, कोच दशरथ की जिद ने बनाया हॉकी खिलाड़ी

रांची। युवा खिलाड़ी ऐसा मोम होता है जिसे जिस रूप में चाहो उसे ढाल लिया जाता है। कुछ ऐसा ही झारखंड की गौरव निक्की प्रधान के साथ आज से 12 साल पहले हुए था। निक्की शुरू से ही काफी तेज दौड़ती थी उसकी तेजी ने सभी को प्रभावित किया था। यह देख तत्कालीन जिला खेल पदाधिकारी व वेटरन एथलेटिक कोच सरवर इमाम ने उसे एथलेटिक्स से जुड़ने को कहा। उस समय निक्की प्रधान को दशरथ महतो हाकी का प्रशिक्षण देते थे। जब उन्हें यह पता चला तो वे सीधे सरवर इमाम से मिले और स्पष्ट कहा कि निक्की में काफी प्रतिभा है और वह हाकी ही खेलेगी।

इस बात पर दोनों के बीच कुछ गर्म बातें भी हुई लेकिन दशरथ महतो नहीं माने और वे निक्की को प्रशिक्षण देना जारी रखा। इस घटना के बाद दशरथ व सरवर इमाम के बीच लगभग दस वर्षों तक बातें बंद रही। दस वर्ष सरवर इमाम ने कोच दशरथ महतो का समर्थन करते हुए कहा कि अगर उस समय वे ना अड़े होते तो हमें ऐसा खिलाड़ी नहीं मिलता। उस घटना को याद करते हुए दशरथ महतो ने दैनिक जागरण को बताया वह मेरी जिद नहीं थी मैं निक्की की प्रतिभा को समझ चूका था ऐसे में अगर वह खेल बदलती तो उसका दोनों खेल प्रभावित होता। आज मैं खुश हूं मेरे निर्णय को निक्की ने सही कर दिखाया।

दशरथ महतो ने कहा आज निक्की जहां भी अपने परिश्रम से है। वह शुरू से ही जिद्दी स्वभाव की है और जो ठान लेती है उसे पूरा कर लेती है। उन्होंने बताया उस समय निक्की की उम्र लगभग 12 साल होगी, खूंटी में भारतीय महिला हाकी टीम में शामिल झारखंड की सुभद्रा प्रधान, एडलिन केरकेट्टा व मसीरा सुरीन का सम्मान समारोह आयोजित किया गया था। उस समारोह में तीनों खिलाड़ियों ने बताया कि कैसे वह हाकी खेली और भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। बताया कि कैसे हवाईजहाज से न्यूजर्सी (अमेरिका) गई।

उनकी बात सुनकर निक्की बहुत प्रभावित हुई थी। दशरथ महतो ने बताया कि जब सब चले गए तब निक्की मेरे पास आई और बोली क्या मैं हाकी नहीं खेल सकती। क्या मैं दीदी लोगों की तरह हवाई जहाज से विदेश जाकर हाकी नहीं खेल सकती। तब दशरथ महतो ने उसे समझाया अच्छा खेलोगी तब वह सब कुछ करोगी जो दीदी लोगों ने किया है हो सकता है तुम उनसे भी आगे जाओ। दशरथ ने कहा मेरी बात उसने गांठ बांध ली और हाकी को अपना जिंदगी मान लिया। मेरा तो मानना है कि यह समारोह की उसके हाकी करियर का टर्निंग प्वाइंट है जिसके बाद उसने मुड़कर नहीं देखा।

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