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क्रिकेट के फलक से राजनीति के शिखर पर इमरान

सैय्यद मोहम्मद अब्बास

पाकिस्तान में चुनाव खत्म हो गया है। सत्ता के संघर्ष में नवाज शरीफ की हार हुई है और इमरान खान ने जीत हासिल की है। दरअसल इमरान खान की पार्टी को यहां तक पहुंचने के लिए लम्बा सफर तय करना पड़ा है। क्रिकेट के फलक पर इमरान खान बड़ा नाम है। 70 और 80 के दशक में पाकिस्तान क्रिकेट की तूती बोलती थी तो वह सिर्फ इमरान खान की वजह से। पाकिस्तान की सियासी घमासान में भी इमरान एक नये लीडर के रूप में सामने आये हैं। यह भी रोचक है कि इमरान ने जिस तरह से क्रिकेट के मैदान पर संघर्ष किया है ठीक वैसे ही सियासत की पिच पर भी उन्हें लम्बा संघर्ष करना पड़ा है। पाकिस्तान की राजनीति पर गौर किया जाये तो यह साफ हो जायेगा कि इमरान के लिए यह राह आसान नहीं रही है। क्रिकेट में अपनी गेंदों से विरोधी बल्लेबाजों को ढेर करने वाले इमरान राजनीति की बिसात पर शुरू में एकदम नये नवेले थे लेकिन बाद में उन्होंने अपने तरीके से अपनी पार्टी को चलाया। जैसे वह क्रिकेट में पाकिस्तान टीम को अपने हिसाब से तैयार करते थे। पाकिस्तान के चुनाव में जो कुछ हुआ वह अब केवल बीती बात हो गई और इमरान खान की ताजपोशी भी तय हो गई है। लम्बे समय तक राजनीति में अपनी साख को बचाने के लिए इमरान खान को आखिरकार पाकिस्तान का पीएम बनने का वह सपना अब साकार हो गया है। पाकिस्तान की सत्ता तक पहुंचने में इमरान को लम्बा वक्त लग गया है। विश्व पटल पर पाकिस्तान एकदम अलग-थलग पड़ गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान एकदम कमजोर पड़ता दिख रहा है जबकि आतंक का खूनी खेल वहां बदस्तूर जारी है और सरहद पर भी आतंकवादी लगातार अपनी हदों को पार कर रहे और भारत के साथ उसका जो रवैया है वह किसी से छुपा नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान की कुर्सी पर बैठने वाले इमरान खान के लिए यह ताज कांटों भरा साबित हो सकता है। खैर यह बात तो सियासत की हुई लेकिन क्रिकेट के करियर में इमरान ने जो कुछ हासिल किया है शायद पाकिस्तान क्रिकेट में किसी और ने हासिल की हो। क्रिकेट के फलक पर इमरान का सितारा हमेशा बुलंद रहा है। उन्होंने अपनी डूबती हुई टीम को एकाएक सहारा देकर विश्व चैम्पियन बना डाला। 1992 का विश्वकप कोई नहीं भूल सकता है। दुनिया ने देखा इमरान ने किस तरह से पाकिस्तानी टीम को अपने बल पर चैम्पियन बनाया। यह भी खास बात है कि करियर के अंतिम दौर में एकाएक इमरान ने पाकिस्तान टीम की तस्वीर बदलकर रख दी थी। 1987 के विश्वकप में पाकिस्तान बुरी तरह से पराजित हुआ था। उसके बाद यह लगने लगा था कि इमरान खान क्रिकेट से किनारा कर लेंगे। इतना ही नहीं पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड में ये खबर आग की तरह फैल गई थी। इमरान खान बहुत जल्द क्रिकेट से संन्यास ले सकते हैं लेकिन पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड ने सत्ता के इशारे पर बड़ा कदम उठा लिया और 1992 के विश्वकप में एकाएक पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड ने बूढ़े हो चुके इमरान खान पर बड़ा दांव लगाने का फैसला कर लिया था यानि पाकिस्तानी बोर्ड ने इमरान खान को संन्यास से रोक दिया और एक बार फिर कप्तान बनाकर विश्वकप में उतारने का मन बना लिया था। इसके बाद विश्वकप की टीम इमरान खान ने अपने तरीके से बनायी। इमरान ने वहीं खिलाड़ी चुने जो वाकई करिश्मायी खेल दिखाने में विश्वास रखते थे। इमरान ने इंजी, वकार, वसीम अकरम जैसे बड़े खिलाड़ी तैयार किये और इन्हें प्रथम श्रेणी क्रिकेट का अनुभव न के बराबर जैसे खिलाड़ियों को विश्वकप में उतार दिया।
ये इमरान खान का ही फैसला था कि वकार युनूस को केवल एक बार देखने के बाद टीम में जगह दे दी जबकि इंजमाम उल हक को प्रथम श्रेणी क्रिकेट का तो अनुभव न के बराबर था लेकिन उन्हें सीधे विश्वकप की टीम में जगह दे दी। इमरान का फैसला एकदम सही साबित हुआ और इंजमाम ने 1992 के वल्र्डकप में पाकिस्तान के लिए कई शानदार पारियां खेलीं। गबरू पठान इमरान हमेशा पाकिस्तान क्रिकेट के हीरो रहे हैं। 1992 विश्वकप में इमरान जो टीम ले गए थे वह कागज पर बहुत कमजोर मानी जा रही थी। आलम तो यह था कि हर कोई कह रहा था इमरान को कमान देकर पाक क्रिकेट बोर्ड ने बड़ी गलती कर दी लेकिन ये इमरान का शगल था कि पाकिस्तान क्रिकेट को बुलन्दियों पर पहुंचाने के लिए उन्होंने किसी की परवाह नहीं की। जानकार बताते हैं कि पाक विश्वकप में हार रहा था लेकिन एक मैच में बारिश ने पाक की मदद कर दी और एक अंक मिल गया। इसके बाद इमरान ने सभी खिलाड़ियों को अपने पास बुलाया और कहा कि मैंने हिसाब लगा लिया है और हम यह मैच जीत रहे हैं। इसके बाद सभी खिलाड़ियों को कहा, जाओ आराम करो। इसके बाद पाकिस्तान टीम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
केवल 13 साल की उम्र से इमरान ने क्रिकेट का गुर सीखना शुरू कर दिया था। इमरान खान ने 1971 में बर्मिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ 18 साल की उम्र में डेब्यू किया। उन्होंने 1982-1992 तक पाकिस्तानी क्रिकेट टीम की कप्तानी की और 1992 में पाकिस्तान को पहला और इकलौता विश्वकप का खिताब जिताया। वकार यूनुस और इंजमाम उल हक भी इमरान की ही खोज थे, जो 1992 विश्वकप में तुरुप का इक्का साबित हुए थे। इमरान ने उस दौर में पाकिस्तान की आम जनता को विश्व विजेता बनने का ख्वाब दिखाया। इमरान ने पाक की टीम की ओर से 1982 से 1992 के बीच बतौर कप्तान 48 टेस्ट खेले हैं और जिसमें उन्होंने 14 जीते और 8 हारे हैं। वहीं वनडे की बात की जाये तो उन्होंने कुल 139 वनडे में कप्तानी की, 75 जीते, 59 हारे हैं। क्रिकेट की पिच पर इमरान बेहद शानदार रहे हैं और अब देखना होगा कि वह राजनीति की पिच पर कैसी पारी खेलते हैं।

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