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खूंटी गैंगरेप के आरोपियों पर कार्रवाई करने पर, सांसद के घर से अगवा कर लिए गये तीन गार्ड

झारखंड के खूंटी में पिछले दिनों 5 महिलाओं के साथ गैंगरेप करने की घटना सामने आई थी। इस घटना के आरोपियों पर कार्रवाई करने से हालात बिगड़ गए और सुरक्षाबलों का पत्थलगढ़ी समर्थकों के साथ काफी टकराव हुआ। इसी बीच समर्थकों ने भाजपा सांसद करिया मुंडा के घर पर हमला कर दिया और उनके घर में तैनात तीन गार्ड को अगवा करके ले गई। समर्थक तीन इंसास राइफल भी लूटकर ले गए। सांसद का निजी बॉडीगार्ड अपनी यूनिफॉर्म उतारकर मौके से भागकर अपनी जान बचाने में सफल रहा।

पत्थलगड़ी समर्थक एक जवान की एके-47 राइफल लेकर भाग गए। इसके बाद पुलिसकर्मियों को खदेड़ते हुए पत्थलगड़ी समर्थक भाजपा सांसद के आवास तक पहुंच गए। लाठीचार्ज के दौरान एक सिपाही दौड़ते हुए सांसद के घर की तरफ चला गया जिसे ढूंढते हुए समर्थक वहां आ गए और उनके घर पर हमला कर दिया। जिस समय मुंडा के घर पर हमला हुआ वह और उनका बेटा जगन्नाथ मुंडा दोनों दिल्ली में थे। कार्रवाई के लिए पुलिस खूंटी के लिए रवाना हो चुकी है।

मंगलवार सुबह पुलिस को खूंटी गैंगरेप के मास्टरमाइंड माने जा रहे जॉन जुनास तिड़ू और पत्थलगड़ी नेता जोसेफ पूर्ति सहित अन्य लोगों के छुपे होने की सूचना मिली थी। पुलिस के मदरूडीह गांव पहुंचने पर गांव वालों ने उनका विरोध किया। गांव वालों का कहना था कि जब वहां दुष्कर्म की कोई घटना नहीं हुई तो इतनी बड़ी संख्या में पुलिस बल क्यों आए हैं। इस दौरान सभी गांव वाले हथियारों से लैस थे। उन्होंने पुलिस को खदेड़ना शुरू किया जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।

पत्थलगड़ी समर्थकों ने सांसद के तीन गार्डों को छोड़ने के लिए शर्त रखी है कि खूंटी के डीसी और एसपी सहित 5 लोग उनसे आकर बातचीत करें। आशंका थी कि वह उन्हें बंधक बना लेंगे। इसलिए उनकी शर्त को नहीं माना गया। मुंडा की बहू ने आरोप लगाया है कि कुछ लड़कियों ने उन्हें अगवा करने की कोशिश की लेकिन गांव के कुछ लोगों ने कहा कि यह बहू हैं इन्हें छोड़ दो। जिसके बाद वो वहां से चले गए। उनका यह भी आरोप है कि एसपी को घटना की जानकारी देने के बावजूद शाम 5 बजे तक कोई नहीं पहुंचा।

सांसद करिया मुंडा का कहना है कि पत्थलगढ़ी मामले में सरकार पहले से ही लापरवाही बरत रही है। लोगों के जानमाल और कानून-व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्य की होती है। जब पत्थलगढ़ी शुरू हुआ उसी समय सरकार का ध्यान इस ओर दिलाया गया था लेकिन इसे गंभारता से नहीं लिया गया। यदि समस्या को उसी समय सुलझाने की कोशिश की गई होती तो शायद इतनी गंभीर समस्या पैदा ही नहीं होती। अब सरकार को कानून विरोधी काम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

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